भारतीयों को बधाई कि भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक और छलांग लगा दी है , चंद्रयान 2 सफलतापूर्वक प्रक्षेपण हुआ है ,भारत के लिए यह गौरव का विषय है,और हम सब इस सफलता में योगदान देने वाले हर वैज्ञानिक को मुबारकबाद पेश करते हैं कि उन्होंने देश को इन बुलंदियों तक पहुंचाया।

चांद भी दिखता है मुझे रोटी की तरह।

बात चांद की हो रही है जो गरीब को भूख की हालत में रोटी जैसा दिखता है,वहीं चांद जिसपर बचपन में एक बूढ़ी औरत सूत कातते दिखती थी ,हा हमसब का चंदा मामा ,अब वहीं बसने पर विचार कीजिए ।
मै आपसे यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि धरती पर नफरत का सैलाब आ गया है,जिधर देखिए नफरत पैर पसार रही है,खून उबाल मार रहा है ,यहां हिन्दू और मुसलमान की बात नहीं है।
आपको बता दूं खुलेआम समाजवादी पार्टी से विधायक रहे नाहीद हसन को अगर आप भाजपाइयों से व्यापार न करने की अपील करते सुनते हैं तो आपकी प्रतिक्रिया आपकी मानसिकता बता देगी।
आप ईमानदारी से बताइए क्या आपका ख़ून नहीं खौला ,या आप उनकी बात का समर्थन करते हैं।
यह एक पहलू है दूसरा पहलू भी देखिए , निशाना सिर्फ मुसलमान नहीं है आदिवासी और दलित भी निशाने पर हैं सोनभद्र की घटना तो अभी आपको याद होगी क्योंकि अभी कोई दूसरी बड़ी घटना इसको भुलाने के लिए नहीं घटी है
सोनभद्र नरसंहार का भयानक मंज़र।

,वहीं झारखंड से एक खबर और अाई है ज़रा इसपर विचार कीजिए झारखंड के गुमला जिले स्थित सिसई थाना क्षेत्र के नगर सिसकारी गांव में रविवार को 4 लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। मारे गए लोगों में दो महिलाएं और दो पुरुष शामिल हैं।
सभी को घरों से निकालकर गांव के अखाड़ा में लाकर लाठी डंडे से पीट-पीटकर निर्मम तरीके से हत्या की गई है। मारे गए लोगों में चापा उरांव उसकी पत्नी तीरों देवी, सूना उरांव और फगनी देवी शामिल है। सभी मृतकों की उम्र 60 वर्ष के आस पास होगी। इस घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है।

ग्रामीणों के मुताबिक सुबह करीब 3:00 बजे 8 से 10 की संख्या में नकाबपोश अपराधी अग्नि देवी के घर पहुंचे और दरवाजा खटखटा कर उसे बाहर आने को कहा, बाहर आते ही नकाबपोश हत्यारों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया और गांव के अखाड़ा में ले गए। इसी तरह चापा उरांव और उसकी पत्नी तीरो देवी और सुना उरांव को जबरन घर से उठाकर गांव के अखाड़े में लाया गया। जहां चारो लोगो को लाठी डंडे से पीट-पीट कर गांव में मार डाला गया।
अब यहां एक सवाल है उन लोगों से जो भीडतंत्र का विरोध सिर्फ तब करते दिखते हैं जब मरने वाला कोई तबरेज,पहलू, अखलाक़,या जुनैद होता है।मगर हमेशा खामोश नजर आते हैं जब इसी घटना का शिकार कोई आदिवासी या दलित होता है,ज़रा सोचिए क्या यही मज़हब की सीख है,क्या आप ज़ुल्म को मज़हब के आधार पर नहीं देखते ?
ज़रा इस पहलू पर भी सोचिएगा कि ज़ालिम सिर्फ ज़ालिम है और मजलूम सिर्फ मजलूम मगर हम खुद बेईमान हैं यह भी तो हो सकता है,क्योंकि मज़हब देखकर प्रतिक्रिया सिर्फ बेईमान देते हैं।
26 जुलाई भी आने वाली है जब मौलाना कलबे जव्वाद और वकील महमूद पराचा 26000 लोगों को हथियार का लाइसेंस भरने की प्रक्रिया सिखाएंगे गजब है यह लोग भी क्या आप इनका समर्थन करते हैं खुद से सवाल कीजिए हर पहलू पर सोचिए साजिश साफ दिख सकती है यकीन मानिए।

झारखंड में भीड़ द्वारा मारे गए लोगों की बिखरी लाशें।

आज कर्नाटक का नाटक भी तमाम नाटकीयता के बाद अपनी मंज़िल पर पहुंच ही गया और चंद्रास्वामी सरकार ने विश्वासमत खो दिया यह सिर्फ खबर भर है इससे ज़्यादा कुछ नहीं लेकिन अब तो चांद तक अपनी रिसाई है लिहाज़ा ज़्यादा मत सोचिए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी विश्वास मत हासिल न कर पाने के बाद ।

आप मुसलमान हैं,दलित हैं या फिर आदिवासी तो चांद के सफर की तय्यारी कर लीजिए क्योंकि ज़मीन तंग हो गई है वरना उन्मादी भीड़ आपको मार देगी ।चलिए अब आपके पास अवसर है ज़िंदा रहने का मगर अवसर एक और भी है और ज़्यादा आसान भी और वह यह है कि नफरत को हराने के लिए एकजुट हो जाइए ,नफरत वाले बहुत कम हैं आपकी ही जीत होगी।

रही बात चांद की तो यह बिल्कुल धर्मनिरपेक्ष है क्योंकि इसका दीदार ईद कराता है तो पतिव्रता पत्नी का करवाचौथ का व्रत भी तुड़वाता है अब ज़मीन तो मजहबों में बटने लगी है चलिए चांद पर चलते हैं अभी वहां कोई बाहुबली गरीब की ज़मीन नहीं छीनता,कोई छुआछूत का माहौल नहीं है ,आदिवासी मारे नहीं जाते

मजहबी जंग अभी यहां नहीं है ,कोई वंदे मातरम् गाने को नहीं कहता अल्लाहु अकबर और जय श्री राम के नारों वाली भीड़ भी नहीं है ।
इसीलिए तो कोई गाता है चलो मेरे यार चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो हम हैं तैयार चलो।

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