यह वक्त बहुत ही नाजुक है, हम पर हमले-दर-हमले हैं।
दुश्मन का दर्द यही तो है, हम हर हमले पर सम्भले हैं।

सैनिक सीमा साधे रहना, हम भीतर देश बचाएंगे।
तुम कसम निभाना सरहद की, हम अपना नमक चुकाएंगे।

हर युवा अठारह से पैंतीस तक, बने कमांडो भारत का।
वह रखे हौंसला उत्तर दे, दुश्मन की घृणित शरारत का।

मरने की बात पुरानी है, अब बिना मरे हम मारेंगे।
अपनी अंगुली दिए बिना दुश्मन के मुंड उतारेंगे।

हम रहे हज़ारों साल खड़े जब दौर चला तूफानों का।
अब विचलित कैसे कर देगा इक झुंड हमें बेईमानों का।
चौ.मदन मोहन समर

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