लालू को जमानत जुम्मन की रिहाई नहीं !!

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जिस तरह की राजनैतिक गलियारों में खबर फैली हुई थी लगभग उसकी पुष्टि जैसी एक खबर तब आयी जब लालू यादव को चाईबासा कोषागार मामले में जमानत मिल गई हालांकि यहां एक बात स्पष्ट करता चलूं कि लालू यादव की जमानत उनको मिली सजा का लगभग आधा समय जेल में बीत जाने के आधार पर हुई है लेकिन जिस तरह का माहौल देश में बना है वहां न्यायालय के फैसलों को लेकर राजनैतिक पैतरेबाजी की बात आम हो चुकी है।
लालू यादव को ज़मानत तो मिल गई है लेकिन वह अभी जेल में रहेंगे और नवंबर में एक और मामले में ज़मानत पर सुनवाई होने के बाद यदि उन्हें ज़मानत मिलती है तो बाहर आयेंगे अगर इसे सियासी उठापटक से जोड़ा जाये और जिस तरह की सुगबुगाहट है उसके आधार पर बात की जाये तो बेस तैयार हो चुका है और जो सत्ता की इमारत बननी है उसमें आरजेडी की भूमिका साफ दिखने लगी है,कहा तो यह भी जा रहा है कि लालू की ज़मानत और जदयू के खिलाफ बीजेपी के गठबंधन में रहते हुए बीजेपी सहित सभी राजनैतिक दलों की लामबंदी पूरा किस्सा कहने के लिए काफी है।
लोजपा ने जिस तरह से मोर्चा खोला उसने बीजेपी की महत्वाकांक्षा को जनमानस पर खोल दिया ,यानी अब बिहार में बीजेपी सिर्फ सहयोगी के तौर पर नहीं रहना चाहती उसे मुख्यमंत्री का पद चाहिए और अगर ऐसे हालात नहीं बनते तब भी जदयू को मुख्यमंत्री पद देकर वह अपनी संभावनाओं को समाप्त नहीं कर सकती और न ही जदयू की पिछलग्गू बनी रहना चाहती।
यह तो खेल है भारतीय जनता पार्टी का और अगर राजनैतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं में सच्चाई है तो आरजेडी की डील रंग ला रही है ,वैसे बीजेपी ने बिहार में ज़बरदस्त फील्डिंग सेट की है ताकि नितीश कोई बाउंड्री न मार सकें और लपक लिए जायें । तेजस्वी यादव ने अपने सहयोगियों पर जिस तरह लगाम कसी है वह भी चुनाव बाद राज्य में उभरे नए समीकरणों को साधने में उन्हें आसानी होगी अगर गणित ऐसा होता है कि भाजपा और आरजेडी मिलकर सराकर बना लें तो नितीश सत्ता से बाहर होंगे और महाराष्ट्र को बिहार में दोहराया जायेगा।
उधर कांग्रेस भी अंदर अंदर कसमसा रही है लेकिन बिहार नेतृत्व की कमजोरी के चलते और कार्यकर्ताओं की अनदेखी की वजह अकेले कुछ नहीं कर सकती वहीं नितीश के साथ भी इसके सिवा कोई चारा नहीं है कि वह बीजेपी की सारी कवायद को जानते समझते भी उसके साथ कम से कम चुनाव तक रहे।
बिहार के सियासी हालात रोज़ बदल रहे हैं जहां आरजेडी मुसलमानों से दूरी बनाकर उनका वोट चाहती है वहीं ओवैसी ने अभी तक एनडीए में मंत्री रहे उपेन्द्र कुशवाहा को नेता मान लिया है और बीजेपी से अपनी गलबहियों के लिए चर्चा में रही बहुजन समाज पार्टी , आर एल एस पी जैसे दलों का जो कॉकटेल बिहार की जनता के सामने प्रस्तुत किया है उसने अब तक मुस्लिम कयादत का सपना संजोए मजलिस समर्थक ऊहापोह की स्थिति में आ गये हैं अब उनके पास कोई जवाब मौजूद नहीं है।
यह सब सियासी जोड़तोड़ चल रहे हैं जबकि पप्पू यादव का गठबंधन तो चर्चा से भी बाहर हो गया है और वह सबको अभी भी दावत देते घूम रहे हैं कि उनके गठबंधन में आ जाएं चाहे चिराग पासवान हों या फिर उपेन्द्र कुशवाहा वैसे मीम को भी पप्पू यादव ने दावत भेज रखी है लेकिन ओवैसी को माया का साथ पसंद है क्योंकि उसके माध्यम से ही वह महाराष्ट्र वाली स्तिथि पैदा कर सकते हैं और किसी दल विशेष की सत्ता के शिखर तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं जैसा कि प्रकाश अम्बेडकर का साथ पकड़कर महाराष्ट्र में कर चुके हैं।
अब रहा सवाल जुम्मन का कि आखिर क्या इसकी राजनैतिक गुलामी का अंत होगा ? क्या इसे भी रिहाई मिलेगी ? तो जिस तरह का माहौल बना हुआ है और मुस्लिम समाज में अभी भी जो बीजेपी रोकने का जज्बा अपनी जीत से ज़्यादा ताकतवर है उससे तो अभी यह संभावना नहीं है कि जुम्मन की रिहाई होगी, और मुसलमानों के इसी हाल के चलते खुद को धर्मनिरपेक्षता के नकाब में छुपाए दल फायदा उठाते आये हैं। जबकि जिस तरह का खेल रचा गया है उसमें हर हाल में अगर हम डर से ऊपर नहीं उठे तो जीत उसकी ही होनी है जिसे हम हराना चाहते हैं। टिकट बंटवारे के समय मुसलमानों का खामोश होना और अपनी नाराज़गी का प्रदर्शन न करना साफ संकेत है कि उन्होंने अपने हाथों से यह गुलामी की जंजीर अपने पैरो में डाली है हालांकि अभी भी वक़्त नहीं निकला है और बदलाव मुमकिन है इसके लिए उन्हें पहले तो एक संकल्प लेना होगा कि वह अपने वोट को अधिक से अधिक मात्रा में पोल करें और दूसरी तरफ इस बात की भी कोशिश हो कि वोट बर्बाद न होने पाए ,राजनैतिक दलों का मोह त्याग कर ईमानदार चुनाव करें और अपनी नुमाइंदगी विधानसभा में बढ़ाने का प्रयास करे यदि सिर्फ डर का किसी को हराने के लिए वोट करने की प्रवत्ति नहीं बदली गई तो राजनैतिक गुलामी का पट्टा गले से कोई उतारने वाला नहीं बेईमान मज़हबी कयादत और बिकाऊ सियासी रहनुमा अपना काम बखूबी करते रहेंगे ।
यूनुस मोहानी
8299687452,9305829207
younusmohani@gmail.com

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