पटना शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से डॉक्टर नायब अली की उम्मीदवारी धर्मनिरपेक्ष दलों व मज़हबी रहनुमाओं के लिए चुनौती

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पटना शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी डॉक्टर नायब अली ने धर्मनिरपेक्ष दलों व मज़हबी कयादत के लिए दुविधा की स्तिथि पैदा कर दी है ,यहां एक बात काबिले गौर है कि नायब अली के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल ने नारायण यादव को समर्थन दिया है।
राष्ट्रीय जनता दल वहीं सियासी जमात है जिसके अपने समाज का वोट बिहार में मात्र 14% है जबकि मुसलमान बिहार में लगभग 19% हैं अब तक लालू यादव यही समीकरण साध कर सत्ता का मज़ा लेते रहे और अब उनके पुत्र यही सपना संजोए हैं कि मुसलमान उन्हें वोट देंगे और उनको अपना नेता मानकर मुख्यमंत्री बना देंगे,हालांकि इस चुनाव में सिंबल नहीं होता लेकिन राजनैतिक दल अपने रूसूख़ के आधार पर प्रत्याशियों को समर्थन देते हैं ,पटना शिक्षक निर्वाचन के लिए पहली बार किसी मुस्लिम प्रत्याशी ने दावेदारी ठोकी है और उसे कांग्रेस ने समर्थन दिया है ,यह चुनाव 23 अक्टूबर को संपन्न हो जायेगा ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल का नारायण यादव को समर्थन साफ कहता है कि सत्ता में मुसलमानों को किसी भी प्रकार की भागेदारी देने का मन इस दल के नेताओं का नहीं है सिर्फ मुसलमानों का वोट बीजेपी को हराने के नाम पर चाहते हैं ऐसा ही प्रतीत होता है इस चुनाव में नालंदा ,पटना और नवादा जिले के लगभग 30 विधानसभा क्षेत्र लगते हैं जहां डिग्री कालेज के शिक्षक वोट देंगे।
यह सवाल सिर्फ आरजेडी से ही नहीं है बल्कि सभी खुद को सेक्युलर कहने वालो से है कि क्या इस चुनाव में वह एक मात्र मुस्लिम उम्मीदवार के पक्ष में अपील करेंगे वहीं बिहार के मुसलमानों को यहीं से अंदाजा लगाना होगा कि कौन उनका वास्तविक हितैषी है यह उनके पास परीक्षा का सुनहरा मौका है इसके जरिए व बिहार में ताल ठोंक रहे सभी दलों को आज़मा सकते हैं और यह फैसला करना उनके लिए आसान हो सकता है कि कौन उन्हें वास्तविक हिस्सेदारी देने के पक्ष में है।
जनता दल यूनाइटेड के लिए भी यह मौका है क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल द्वारा डॉक्टर नायब अली के विरूद्ध नारायण यादव को समर्थन देकर उसने अपने पत्ते खोल दिए हैं अब देखना यह है कि क्या वह अपना समर्थन वापस लेकर नायब अली को समर्थन करता है कि नहीं और उनके पक्ष में शिक्षकों से अपील करता है कि नहीं कांग्रेस ने डॉक्टर नायब अली को अपना समर्थन देकर अपनी स्तिथि साफ कर दी है।
यह तो बात थी खुद को सेक्युलर कहलाने वाले राजनैतिक दलों की आइए अब बात करते हैं मज़हबी कयादत की आखिर उसका क्या रुख होगा ? सवाल सबसे पहले इमारत शरिया से है कि आखिर क्या वह राजनैतिक दलों पर नायब अली के लिए दबाव बनायेगी और डॉक्टर नायब अली के लिए ऐलान करने की हिम्मत करेगी ? अगर व ऐसा नहीं कर सकती तो फिर कैसे माना जाए कि वह मुसलमानों की हितैषी है? और मुसलमानों की राजनैतिक भागेदारी के लिए कोशिश करती है ,मौलाना वली रहमानी क्या यह हिम्मत दिखाएंगे कि वह कहे कि अगर आप हमारे एक उम्मीदवार को बर्दाश्त नहीं कर सकते तो मुसलमान भी अपना वोट आपको क्यों दें?
सिर्फ इमारत शरिया ही नहीं सवाल इदारये शरिया से भी यही है कि क्या आप खुद इन दलों पर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र पटना से नायब अली के पक्ष में समर्थन की अपील करवाने का दबाव बनायेंगे यही नहीं राजनैतिक हलकों में अपनी धमक रखने वाले सभी मज़हबी रहनुमा क्या इस बार इन सेक्युलर दलों की कड़ी परीक्षा इस माध्यम से के सकते हैं ? यदि वह ऐसा नहीं कर सके तो मुसलमानों को भागेदारी की लड़ाई इनके भरोसे नहीं लड़नी चाहिए और इनसे खुल कर कहना चाहिए कि आपका कोई राजनैतिक संदेश हम नहीं मानते ।
मुसलमानों को इस चुनाव पर पैनी नजर रखनी होगी क्योंकि अगर इसमें कोई आपका साथ नहीं देता तो आपके पास सोचने के लिए पूरे 4 दिन का समय बचेगा और आप अपना फैसला उसके आधार पर कर सकेंगे लेकिन इसके लिए आपके दरवाज़े पर जब कोई प्रत्याशी वोट के लिए आए तो उससे डॉक्टर नायब के समर्थन के विषय में पूछना होगा,इस प्रकार मुसलमानों को राजनैतिक फरेब से बचाने के लिए एक प्रश्नावली के तौर पर डॉक्टर नायब अली मिल गए हैं जोकि सभी सेक्युलर कहलाने वाले दलों एवं मज़हबी कयादत के लिए चुनौती है।
यूनुस मोहानी
9305829207,8299687452
younusmohani@gmail.com

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