किसानों का दर्द कहती उनका वास्तविक चित्रण करती चौधरी मदन मोहन समर जी की कविता काश संसद में यह भी गूंजी होती तो हालात ऐसे न होते ।
#किसान
कैसा है शमशान देख लो।
चल मेरा खलिहान देख लो।तुम्हें देखना है मुर्दा तो,
चलकर एक किसान देख लो।सेर,पसेरी,मन,कुंटल के,
सब झूठे अनुमान देख लो।सर्वनाश का सर्वे कर-कर,
पटवारी धनवान देख लो।माफ़ी के हर आश्वासन में,
चढ़ती हुई लगान देख लो।खसरा,बही,खतौनी मेरे,
काबिज़ है सुल्तान देख लो।सिर्फ अंगूठा लिया सेठ ने,
कितना मेहरबान देख लो।मरहम में रख नमक लगाते
सरकारी अहसान देख लो।देहरी पर मेसी फग्युर्सन,
भीतर बीयाबान देख ली।मानसून तक मनमाना है
बस बेबस मुस्कान देख लो।कुर्की की डिक्री पर अंकित,
गिरता हुआ मकान देख लो।कल पेशी है तहसील में,
घर में कितनी धान देख लो।सम्मन मिला कचेहरी से है,
अधिग्रहण फरमान देख लो।ठंडे कमरों में कागज़ पर,
फोकट के अभियान देख लो।तस्वीरों के पार झाँक कर.
गांवों का उत्थान देख लो।आओ इंडिया से बाहर कुछ,
आकर हिन्दुस्तान देख लो।
…. ..चौ.मदन मोहन समर