जी हां अब हम न्यू इंडिया बना चुके हैं हर जगह इसका प्रचार किया जा रहा है विदेशों में चर्चा है न्यू इंडिया की लेकिन अभी कहीं कहीं भारत के निशान दिख रहे हैं जो लोगों को भ्रमित करते हैं कि यह न्यू इंडिया है या भारत ?जैसे हमारे संविधान की उद्देशिका ही को देख लीजिए साफ लिखा हुआ है “हम भारत के लोग ” आखिर आपही बताइए मैं आपसे ही पूछ रहा हूं यह भला क्यों लिखा हुआ है अब इसकी क्या ज़रूरत इसे तुरंत प्रभाव से संशोधित किया जाना चाहिए कि नहीं? अगर ऐसा कर दिया जाए तो संदेह के बादल छट जायेंगे कि अब भारत नहीं यह न्यू इंडिया बन चुका है।
आखिर न्यू इंडिया बनाने में अपना पसीना और लोगों का खून बहा रहे इन जोशीले युवाओं के इस काम का इनाम भी मिलना चाहिए इस लिए अब भारत के हर निशान को एक एक कर मिटाना होगा इसके लिए शुरुवात के तौर पर सरकार को एक क़दम उठाना चाहिए कि देश में अब कोई फूलों का गुलदस्ता किसी को उपहार में नहीं देगा और न ही कोई फूलों का व्यापारी ऐसा कोई गुलदस्ता बेचेगा जिसमें एक से अधिक फूल हों साथ ही यह भी व्यवस्था की जाए कि अलग अलग रंग के फूलों के लिए अलग अलग दुकानें हों यह सिर्फ प्रतीकात्मक होगा न्यू इंडिया कैसा होगा इसे इन दुकानों से समझा जा सकेगा क्यों ?

अब न्यू इंडिया में किसी सूफी संत की दरगाह पर होली नहीं खेली जायेगी और पुष्कर में खिलने वाले गुलाब को अजमेर में नहीं बेचा जा सकेगा इससे न्यू इंडिया का आइडिया टकराता जो है,दीवाली की गुझिया सिर्फ एक वर्ग के लिए होंगी और ईद की सिवाईया दूसरे वर्ग के लिए अब किसी भी हाल में इसे मिलजुल कर नहीं खाया जायेगा क्यों ?
सिर्फ इतना ही नहीं आदरणीय प्रधानमंत्री ने पहले ही कहा है कि कपड़ों से पहचाना जायेगा आप समझ नहीं सके लिहाज़ा अब न्यू इंडिया में अलग अलग धर्मों और जातियों के लिए अलग अलग परिधान होने चाहिए ताकि भ्रम की स्थिति न हो और कपड़ों से वास्तविक पहचान हो सके अब कोई सीता बुरखा पहनकर किसी मांग में सिंदूर भरे राबिया के साथ बाजार में नहीं घूम सकती जिससे पहचान मुश्किल हो क्यों ?

न जाने क्यों लोग अब भी गांधी की बात करते है कहते हैं यह गांधी का भारत है ऐसे लोगों को समझाया जाना चाहिए कि यह भारत नहीं है यह न्यू इंडिया है गांधी का भारत था यह न्यू इंडिया कपिल किसी अनुराग किसी प्रवेश किसी ताहिर किसी वारिस वाला है न जाने लोग क्यों इस बूढ़े के लिए इतने भावुक हैं जिसके पास एक लाठी और धोती के सिवा कुछ दिखता नहीं था वह तो लाखों वाला कोई सूट भी नहीं पहनता था हालांकि वह अपनी कमाई से पहन सकता था वह बैरिस्टर था लोगों ने उसकी डिग्री भी देखी थी लेकिन उसके मन में पता नहीं क्या आया कि उसने अपने भारत के लिए सब त्याग दिया खैर अब उसका कोई मोल नहीं जब देश बदल गया तो प्रतीक भी बदलने होंगे क्यों ?

न्यू इंडिया में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को यह प्रशिक्षण भी दिया जाएगा कि किस चीज़ पर प्रतिक्रिया देनी है और किस पर नहीं,क्या देखना है और कहां आंख मूंद लेनी है जैसा काफी हद तक दिल्ली की पुलिस सीख चुकी है आपने देखा होगा किस तरह वह हाथ बांधे हमलावर को हमले का मौका देती है और फिर एक जगह प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बर्बरता से पीट देती है।
वैसे न्यू इंडिया का आभास सबसे पहले मीडिया को हुआ उसने सबसे पहले अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए भारत को न्यू इंडिया बना दिया उसे साफ पता है कि किसे आतंकी कहना है किसे नहीं भले देवेन्द्र सिंह आतंकियों के साथ पकड़े जाएं तो भी उनके खिलाफ ऐसा कुछ नहीं बोलना है लेकिन अगर कोई दूसरे नाम वाला हो तो बिना जांच बिना सबूत उसे आतंकी साबित करना है भले न्यायालय उसे निर्दोष करार दे बाद में।

देखिए जज का तबादला कोई मुद्दा नहीं है यह एक प्रक्रिया है क्या हुआ अगर कोई जज शायद भूल गया हो की न्यू इंडिया में क्या कहना है क्या नहीं किसे निर्देश देने है किसे नहीं तो शुरुवात में यह दिक्कतें तो आती हैं धीरे धीरे सब अभ्यस्त हो जाएंगे फिर कोई कुछ नहीं भूलेगा जैसा आपने राजधानी दिल्ली की पुलिस को देखा जिसे पूरी तरह याद रहा कि न्यू इंडिया है और नई व्यवस्था को पूरी तरह निभाया शायद ? वैसे अगर लोग जज के तबादले की आलोचना कर रहे हैं तो सुन लें अगर अभी लोगों को नहीं समझाया जायेगा तो कब ?
भारत में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जयकारा भक्त आत्मविभोर होकर लगाते जब भक्ति में डूब जाते तो अपने आराध्य राम का जयकारा लगाते लेकिन न्यू इंडिया में यह बदल गया है अब राम नाम का नारा लगाने वाली भीड़ खून की प्यासी है वैसे ही जब अल्लाह के खौफ से दिल कांप जाता है तो रहीम के बंदे तकबीर का नारा बुलंद कर अल्लाह की बड़ाई बयान करते लेकिन यह नारा भी कब दहशत का प्रतीक बना दिया गया किसी को खबर नहीं हुई आज न्यू इंडिया में नज़ारा कुछ ऐसा ही है क्या आपको नहीं लगता ।
भारत में कोई सुहागन दीवाली का दिया पहले निज़ामुद्दीन की चौखट पर जलाती फिर अपने घर में चरागा करती वैसे ही जैसे कोई कृष्ण भक्त मौलाना हसरत जब हज से वापिस आता तो पहले बृंदावन जाता लेकिन न्यू इंडिया में ऐसा नहीं होगा आपने देखा नहीं न्यू इंडिया के नवजवान कहीं मस्जिद को आग लगा रहे थे कहीं किसी दरगाह को तोड़ रहे थे कहीं कोई मंदिर में घुसा जा रहा था उसकी बेहुरमती कर रहा था यह बात बिना जाने कि यह वही दरगाह है जहां उसके जन्म के लिए शायद उसकी मां ने मन्नत मांगी थी और यह मस्जिद वही है जब बचपन में वह बीमार पड़ता था तो मा उसे आंचल में लपेट कर इसी की सीढ़ियों पर इमाम साहब से फूंक डलवाने आती थी,इन्हें खबर ही नहीं की बचपने में स्कूल का रिक्शा जब मंदिर के पास पहुंचता था तो पुजारी जी सभी बच्चो को प्रसाद के लड्डू देते थे जिससे रोते हुए बच्चों के चेहरे खिल जाते थे लेकिन यह सब भारत की यादे हैं अब न्यू इंडिया है जनाब 2020 का इंडिया जहां लोग हम भारत के लोग कहने वालों को बर्दाश्त नहीं करेंगे शायद?
लेकिन अभी हैं कुछ दकियानूसी लोग जो भारत में ही जीना चाहते हैं उन्हें न्यू इंडिया का यह रूप पसंद नहीं तभी तो कोई अहसान किसी राकेश के परिवार की हिफ़ाज़त में है कहीं कोई रामसेवक अपनी जान लड़ा रहा है किसी अब्दुल्लाह के परिवार को बचाने के लिए कहीं कोई करतार सिंह अपनी पगड़ी किसी मुख्तार के सर उसकी जान की रक्षा के लिए बांधने को तैयार है कि धर्म तो तब बचेगा जब इंसान बचेगा यह कहानियां नहीं है भारत की हकीकत है।

भारत वही जी हां जहां लिखा है हम भारत के लोग ,अब दिल्ली की सड़कों को ध्यान से देखिए एक एक तस्वीर को वीडियो को और जले हुए मकानों दुकानों को टूटते भरोसे की आवाज़ सुनिए लाशों की चीखें और शोकाकुल परिवारों का मौन सुनिए रोते बिलखते बच्चों के चेहरे देखिए शायद आपको कहीं कुछ दिख जाए क्योंकि न्यू इंडिया ऐसा ही है अब ज़िम्मेदारी आपकी है आप भारत में रहना चाहते हैं या न्यू इंडिया में हां सोच लीजिए न्यू इंडिया में शायद भारत के लोग नहीं रह सकते। वैसे दिल्ली पुलिस कमिश्नर बदल दिए गए हैं केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भी मिला है उम्मीद कीजिए की हम सब भारत के ही लोग रह पाएंगे।
यूनुस मोहानी
9305829207,8299687452
younusmohani@gmail.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here