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पको बहुत सोचने की जरूरत नहीं है मैं तो बस चीते के महत्त्व पर आपसे चर्चा करना चाहता हूं ,क्योंकि मैं लगातार देख रहा हूं कि देश की इतनी बड़ी जरूरत जिसे लगातार पिछली हुकूमतों ने नजरंदाज किया उसे पूरा करने पर सरकार का मजाक उड़ाने की कुछ लोग विफल कोशिश कर रहे हैं ,इसलिए जरूरी है कि आपसे बात की जाए आपको अगर इस चीते का महत्त्व न पता हो तो बताया जाए और अगर आप व्हाट्सएप विश्विद्यालय के मेधावी हैं तो आपके सिलेबस में जो जानकारी है उसे जाना जाए।

एक विलुप्त प्रजाति जिसके लिए बीते 75 सालों में कोई प्रयास नहीं जब देखो लोग महंगाई पर बेरोजगारी पर चर्चा लेकर बैठ जाते हैं जबकि कौन लोग बेरोजगारी से या महंगाई से परेशान है ?भला खुद सोचिए मेहनत करने वाले कमा रहे हैं कामचोर बेरोजगार हैं, अडानी जी को ही देख लीजिए इस बेरोजगारी और महंगाई के दौर में (जैसा विपक्षी मानते हैं मैं या आप नही) हर हफ्ते 1 लाख करोड़ कमा ले रहे हैं, और यह हैं कि बेरोजगारी का रोना लेकर बैठे हैं ,अब भला कोई एक कमाए या सब, कमा तो भारतीय ही रहा है कोई विदेशी तो नहीं इसपर संतोष करना चाहिए।

देश में कहां बेरोजगारी है बताइए 1 सितंबर 2022 को मात्र 8.3 ही तो बेरोजगारी दर थी जुलाई 2022 में यह 6.8 है कौन बहुत बड़ा अंतर आया एक माह में मात्र 1.5 का वैसे यह आंकड़ा मेरा नही है ऐसा सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी अर्थात आर्थिक शोध संस्थान की रिपोर्ट में है अब राहुल गांधी सरकार को बेरोजगारी पर घेरने की फिराक में हैं अरे यूपीए जब सत्ता में थी तब भी या आंकड़ा5.44% ही था अब यह बात और है कि इतना विकास हुआ है तो इसमें कमी आनी चाहिए थी लेकिन नही आ सकी कोई बात नही अभी कौन सा यह दहाई का आंकड़ा छू पाई है हालांकि शहरी क्षेत्र में 9.6 तक पहुंच गई है जब दहाई छू लेगी तब देखा जायेगा कि बेरोजगारी है भी या यूंही खैर अगर ऐसा हो भी जाए तो क्या भारत में सर्कस बंद हो जायेगा ?

लोकतंत्र के सर्कस में अन्ना आंदोलन वाला पहला आइटम भी खूब हिट रहा उसके कई मुख्य कलाकार तो सत्ता की मलाई तक रसाई पा गए ,दिल्ली ही नहीं पंजाब में भी छा गए अब गुजरात की राह पर हैं ,दूसरा आईटम सेहत से जुड़ा था बाबा ने सेहत के राज खोले और सत्ता ने ताले ,धन की वर्षा होने लगी लक्ष्मी की महा कृपा हुई और डीजल 30 का बिकना था 100 के आंकड़े को बस चूमने को आतुर है काला धन सब ग्रे या लाल हो गया है नोटों के रंग के अनुरूप यह भी सर्कस के एक जादुई करतब का कमाल है नोटबंदी नाम है इसका टैक्स मुक्त भारत में जीएसटी ने मुख से घूंघट उठाया तो हर भारत वासी दिन रात मुंह दिखाई की रस्म में लगा हुआ हैं और दिल खोल कर या मन मसोस कर मुंह दिखाई दे रहा है।

हालांकि सर्कस में पहले भी मगरमच्छ ,शेर सब जानवर आ चुके हैं लेकिन चीता नहीं आया था बेचारा नामीबिया में कब से इंतजार कर रहा था काश उसे भी लोकतंत्र के सर्कस में मौका मिले वह भी अपना करतब दिखाए जब ऐसा सालों बाद मुमकिन हो पाया तो कांग्रेस कहती घूम रही महंगाई है भुखमरी है ,और किसी विदेशी एजेंसी के कहने से भुखमरी हो जायेगी यह कोई प्रधानमंत्री की लोकप्रियता से जुड़ा सर्वे तो है नहीं कि किसी ने किया हो मान लिया जाए भुखमरी है ,ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत का भुखमरी इंडेक्स में स्थान 101वा हैं कुल 116 देशों में हम 101वे स्थान पर हैं मतलब मात्र 15 स्थान ऊपर हम इस बात पर खुश भी हो सकते हैं कि अभी 15 हमसे नीचे हैं मतलब हम विकास कर रहे हैं क्योंकि हमें तो हमेशा गिलास का भरा हुआ हिस्सा देखना है ।

फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार 70.5% लोग पौष्टिक आहार नहीं खा पाते भारत में ,वहीं 53% भारतीय महिलाएं एनेमिक यानी खून की कमी की समस्या से जूझ रही हैं खैर इन सबसे आपको क्या मतलब देश तो बदल रहा है ,धर्म की जय जय तो हो रही है,भारत का न्यू इंडिया वाला नया रूप तो सपनो में लुभा रहा है, अब महंगाई पर बेरोजगारी पर बात राहुल गांधी करेंगे हजारों की कमीज पहन कर ,गरीबी की बात सिर्फ प्रधानमंत्री जी के मुंह से ही अच्छी लगती है चाहे वह लाखों का सूट पहने महंगा जूता ,विदेशी चश्मा विदेशी घड़ी पहने लेकिन हैं तो वह गरीब ही भला ऐसा साहस किया कभी राहुल ने कि खुद को फकीर कहते ऐसा सिर्फ मोदी जी में साहस है वह महामानव हैं कितना सोचते हैं देश के बारे में कि देश का सम्मान न गिरे भले उसके लिए 8000 करोड़ का विमान खरीदना पड़े 20000करोड़ का महल बनाना पड़े लेकिन देश का सम्मान रहे ।

खैर चीता आ गया है सर्कस का नया आइटम लोग भटक रहे थे भारत जोड़ो यात्रा की तरफ ध्यान दे रहे थे लिहाजा सर्कस में नयापन चाहिए तो चीता आया है बिलकुल नया आपने देखा भी नहीं होगा तो अब सिर्फ चीता देखिए नामीबिया का चीता,विदेशी चीता पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए कितना आवश्यक है चीता ,कितना बड़ा काम है चीते को भारत में दोबारा से बढ़ाने का प्रयास आवारा पशु की बात यहां मत करियेगा ,पन्नी खा तो रहे हैं ।
यूनुस मोहानी

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