आपको मौत का खौफ मुबारक हो आप फिर झुंझला गए न मेरी बेतुकी बात पर लेकिन मै चाहता यही हूं कि आप झुंझला जाएं क्योंकि आपको सीधी और सच्ची बात सुनने की आदत तो खतम हो गई है आइए खैर अब आते हैं अपने मुद्दे पर जी समझते हैं किस्सा थाली का, थाली का इसलिए क्योंकि बिरयानी तो देशद्रोही हो चुकी है यह और बात जब ख़ास दोस्त अाए तो परोसी जाती है वहीं ट्रंप जी अपने साहब के खास मित्र।
जी हां वही मित्र जब उनके आने के लिए पूरे देश का मीडिया सिर्फ यह बता रहा था कि उनके स्वागत में लाखों भारतीय अपने पलके बिछा देंगे और बिछा भी दी आखिर अतिथि देवो भव: का मंत्र है हमारा यह समय वहीं था जब चीन में कोरोना बुरी तरह फैल चुका था और शहर के शहर बंद किए जा चुके थे ,मै आपको यह सब याद दिला रहा हूं क्योंकि भारत में भी 29 जनवरी को एक मरीज़ आ चुका था उसके बाद 2 फरवरी और 3 फरवरी को भी 1-1 मरीज़ मिल गया था यानी कुल गिनती 4 दिन में 3 हो चुकी थी ,लेकिन नमस्ते ट्रंप का भव्य आयोजन कैसे टाला जा सकता था?
पूरी दुनिया के देश बाहर से आने वालों पर जब प्रतिबंध लगा रहे थे उस वक़्त देश में ट्रंप का स्वागत हो रहा था जबकि सबको इसके खतरे का पूरा अंदाज़ा था लेकिन फिर भी इस आयोजन पर करोड़ों खर्च किए गए और बदले में हमें मिला क्या अमेरिका से अाए मेहमान ने अपना सामान बेचा और चलता बना इस बीच देश की राजधानी जलती रही 55 सरकारी आंकड़ों के हिसाब से काल के गाल में समा गए घर जले दुकानें जली ज़िंदगियां बर्बाद हुई कहीं कोई कोरोंना का ज़िक्र नहीं मध्य प्रदेश में चल रहीं लोकतंत्र की मंडी वैसे ही चलती रही जनता के प्रतिनिधि लोगों जैसा कह रहे हैं और जैसे वीडियो वायरल हुए उसके अनुसार 35 करोड़ से बोली शुरू हुई खैर जाने दीजिए इन बातो को क्योंकि एक महाराज सिर्फ सेवा करने के उद्देश्य से दल बदल रहे थे और अब सिर्फ जनसेवा में लगे हैं शायद?
आइए अब आते है भारत की उस तस्वीर की तरफ जो धर्म की धुंध में धुंधला सी गई थी लेकिन जैसे लाकडाउन हुआ तो धर्म का कच्चा धुवा हटा और यह तस्वीर बहुत साफ दिखने लगी जहां देखो भूख,बेबसी,लाचारी,नाउम्मीदी भारत की सड़कों पर पैदल दौड़ी जा रही थी और वहीं कुछ मानवता के पुजारी अपने मन के मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे और चर्च को लेकर इन्हीं राहों में आ खड़े हुए इस भूख से लड़ने बिना धार्मिक प्रदूषण के बिल्कुल साफ मन के साथ वहीं भारत के लोग एक साथ खड़े हुए जिसे सियासत के लोगों ने धर्म का सिपाही बना डाला था यह तस्वीर जहां हमें किस्तों में दौड़ती मौत लगती है वहीं कहीं न कहीं इस मानवता के पहलू को देखकर सुकून भी देती है।
कोरोंना बड़ी महामारी है सब घरों में बंद हो गए लेकिन उनका क्या जिन्होंने आप का घर तो बना दिया लेकिन उनके पास अपना घर नहीं है,उनका क्या जिनके पास खाना नहीं है और उनका क्या जिनके चारो तरफ मौत रक्स कर रही है लेकिन बंद तो सब है सिवा शेयर बाजार के आपको याद तो होगा बजट के बाद से यह लगातार डूब रहा था और यह गिरता गिरता 2014 के उस स्तर पर पहुंच गया जहां से ऊपर चढ़ा था यानी सभी पूंजीपति वापिस वहीं आ गए जहां वह 2014 में थे अब शेयर बाजार लॉकडॉउन से लगातार ऊपर चढ़ रहा है जो लोग अर्थ जगत से संबंध रखते हैं उनकी माने कुछ स्थिरता है लेकिन वैश्विक मंदी में यह राहत जैसी नहीं है लेकिन फिर भी आप समझ सकते हैं कि मज़दूर को नींद से जागने का वक्त नहीं मिला देश बंद हो गया और पूंजीपतियों को राहत देने के सारे रास्ते खुले हैं।
थाली बज चुकी है यानी यह एक ऐसा टेस्ट था जो बता गया कि देश के लोगों में अभी और सहन करने की शक्ति है अभी यह उस नशे से बाहर नहीं है जिसे इनकी नसों में पहुंचाया गया है और उसका परिणाम यह है कि लाखों मज़दूर बड़े शहरों से सड़कों पर निकल पड़े अपने गांवों की तरफ अपनी बेबसी का बोझ लेकर अपने कंधों पर टूटे हुए ख्वाबों की लाशे लेकर ,उस ठेकेदार ,साहूकार से सामना करने की हिम्मत जुटाकर जिससे उधार लेकर शहर कमाने आने से पहले बूढ़ी मां के लिए छप्पर डाला था और बचे पैसों से शहर का टिकट खरीदा था आखिर अब कहां से चुकाएंगे अपना कर्ज।
प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात में सिर्फ अभिजात वर्ग की बात की गरीब की नहीं बात सिर्फ उनकी जो सोशल मीडिया पर उन्हें वीडियो भेजते हैं जो हारमोनियम बजा कर वीडियो बना रहे है वह कहते हैं कि घरों में प्यार बढ़ाइए इस समय तो सड़क पर देखिए सरकार मोहब्बत किस तरह मजबूत है कोई पति अपनी पत्नी को कंधे पर उठाए पैदल चला जा रहा है कोई अपनी मा को ,कोई अपने बच्चो को ,भूखे प्यासे यह भारत के लोग हैं जो सरकार बनाते हैं, यही वोट देते हैं ,यही वह है जो लोकतंत्र के पर्व को मनाते हैं क्योंकि इनके पास ड्राइंग रूम नहीं होता ।
खैर सड़कों पर फिरते जीवित कोरोंना से भले सब बच जाएं मगर खाली थाली लेकर जब बच्चे भूख से बिलखेंगे तो स्थिति कितनी भयानक होगी !भूख जब त्रासदी का रूप धारण करेगी तब इसे नियंत्रित करना शायद नामुमकिन ही होगा? क्योंकि कोरोंना से भारत को शायद इतनी लाशे न देखनी पड़ें जितनी भूख से हुई मौतों का आंकड़ा होगा! क्योंकि सरकारी मदद जब तक ज़मीन पर आयेगी जब तक भूख एक नई चुनौती खड़ी कर देगी और कोई बड़ी बात नहीं की लूट इसका एक रूप बन जाए हर बड़ी छोटी दुकान इसकी जद में होगी यानी रोटी भारत का सफर तय करेगी ज़रूरत है सरकारों को चेतने की कालाबाजारी करने वालों को होश में आने की अगर भूख ने संयम छीन लिया तो आराजाकता को शायद ही कोई रोक पाए।
हम सब की ज़िम्मेदारी है कि किसी की थाली खाली न हों यह मानवता का पहलू है अगर आप इसे नहीं समझते हैं तो भी किसी की थाली खाली न हो यह डर का पहलू है फैसला आपके हाथ है क्योंकि आप खूब जानते हैं किस्सा थाली का।
यूनुस मोहानी
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