लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान आने वाले हफ्ते में किसी भी दिन होने की पूरी संभावनाएं है ,भारतीय जनता पार्टी अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव में कूद चुकी है और प्रधानमंत्री आचार संहिता लगने से पूर्व ही पूरे भारत में घूम घूम कर अपनी चुनावी रैली कर लेने के मिशन पर हैं।
कांग्रेस ने अपने तरकश का सबसे ज़्यादा मारक तीर प्रियंका गांधी वाड्रा को सक्रिय राजनीति में उतार कर चल दिया इसकी आधिकारिक घोषणा के पश्चात जिस प्रकार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उनका रोड शो हुआ और मीडिया ने उन्हें खूब दिखाया उससे मृत पड़ी कांग्रेस में नई जान अाई और सालों बाद कांग्रेसी अपने कड़क कुर्ते कड़काते सड़कों पर आए और उनमें उम्मीद की किरण जागी।
ऐसा इकबारगी लगने लगा कि अब कांग्रेस करिश्मा कर सकती है प्रियंका को आंधी कहा गया जिसके तेज झोंके से कमजोर पत्ते इधर उधर बिखरे तो मजबूत दरख़्त भी झोंके से हिल गए उत्तर प्रदेश की सियासत में सबसे मजबूत माने जा रहे सपा बसपा गठबंधन में जो हलचल शुरू हुई वह सभी जानते हैं लेकिन कांग्रेस अकेले कितनी मजबूत है इसका आकलन कहीं न कहीं गलत किया गया प्रतीत होता है या फिर आंधी की समयावधि से अनभिज्ञ रहने में यह गलती होती प्रतीत हो रही है।
प्रियंका की कामयाब लांचिंग का जश्न अभी कांग्रेस मना भी नहीं पाई थी कि पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आतंकी हमला हो गया और देश गम और गुस्से में डूब गया और वहीं हुआ जो होता है यानी आंधी कुछ वक़्त की होती है और उसके बाद झाड़ू लगा दी जाती है प्रियंका की आंधी का वही हश्र हुआ।
अब बात करते हैं कि कांग्रेस क्यों आप को हराना चाहती है आप से मतलब राजनैतिक दल से नहीं बल्कि आप और हम से है एक तरफ तो नारा है कि संविधान बचाना है तो चौकीदार बदलो दूसरी तरफ रवैया वहीं पुराना कि हम अकेले ही यह कर सकते हैं हिस्सेदारी में हमें विश्वास नहीं।
जब बीजेपी की चुनावी तैयारी लगभग मुकम्मल है तबतक कांग्रेस तय नहीं कर पा रही कि उसे कहां अकेले लड़ना है और कहां गठबंधन में जब सब जानते हैं कि सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से निकलेगा तब ऐसा अहंकारी रुख बीजेपी को संजीवनी देने वाला है अगर कांग्रेस अकेले चुनाव में जाती है तो जहां बहुजन समाज पार्टी मैदान में है वहां बीजेपी को फायदा पहुंचाएगी क्योंकि मुसलमान मायावती से नाराज़ हैं और उनको वोट देना बीजेपी को देना मान रहे है ऐसे में उनका बड़ा हिस्सा कांग्रेस की तरफ जायेगा लेकिन कांग्रेस अकेले इतनी मजबूत नहीं कि उनके 50%वोट के मिलने से जीत सके ऐसे में उसे खुद को बलशाली करना होगा जो गठबंधन के बगैर मुमकिन नहीं हर दिन चुनाव नजदीक आता जा रहा है लेकिन कोई निर्णायक रणनीति सामने नहीं आ पा रही जो बरबस सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर क्यों आपको हराना चाहती है कांग्रेस?
ऐसा ही कुछ दिल्ली का हाल है जहां लोकसभा की 7 सीटें है और सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी गठबंधन करना चाहती है यहां की स्तिथि भी ऐसी है की यदि आप और कांग्रेस मिल जाएं तो बीजेपी को शून्य पर ला सकते हैं लेकिन कांग्रेस को अपूर्ण राज्य की सत्ता भी चाहिए और लगभग रिटायर हो चुकी शीला जी की ताजपोशी का मंसूबा भी है यहां भी अगर दोनों दल अलग अलग लड़ते हैं तो बीजेपी को पूरा मौका है अपनी जीत सुनिश्चित करने का अब पूछिए सवाल आप को क्यों हराना चाहती हैं कांग्रेस ?

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