बिकाऊ रहनुमा और बेईमान कयादत से पल्ला झाड़ने का वक़्त

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आज मुसलमान पसोपेश में हैं कि क्या करें वह खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं जहां एक ओर उनमें असुरक्षा की भावना धीरे धीरे घर कर रही है वहीं विश्वास में भी कमी आ रही है जोकि अच्छा संकेत नहीं है और यही सही समय है समाज को सही दिशा में सोच कर निर्णय लेने का क्योंकि पिछले 70 सालों में बिकाऊ रहनुमाओं की जो फौज तैयार की थी कौम ने आज उनके चेहरों से नकाब उतर चुका है।
बात सिर्फ सियासी रहनुमाओं की ही नहीं है समाज का बड़ा नुकसान तो मजहबी कयादत की बेईमानी ने किया है जिसने पूरे मुस्लिम समाज को भेड़ों की रेवड़ की तरीके थोक में बेचा और हर तरह के फायदे हुकूमतों से उठाए जब भी मामला कौम का आया यह मजहबी ठेकेदार गूंगे बहरे बन गए फिर कौम के गुस्से का भी सौदा कर बैठे।
आप में शायद कुछ लोग नहीं जानते होंगे कि बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला अर्टिकल 142 के अन्तर्गत सुनाया है ,अनुच्छेद 142 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को किसी मामले में न्याय करने और निर्णय को पूरा करने के लिए आदेश देने की शक्ति मिली हुई है अर्थात् जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सर्वोपरि है.अपने न्यायिक निर्णय देते समय न्यायालय ऐसे निर्णय दे सकता है जो इसके समक्ष लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिये जरूरी हों और इसके द्वारा दिये गए आदेश सम्पूर्ण भारत संघ में तब तक लागू होंगे जब तक इससे संबंधित किसी अन्य प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है।
संसद द्वारा बनाए गए कानून के प्रावधानों के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट को सम्पूर्ण भारत के लिये ऐसे निर्णय लेने की शक्ति है जो किसी भी व्यक्ति की उपस्थिति, किसी दस्तावेज़ अथवा स्वयं की अवमानना की जाँच और दंड को सुरक्षित करते हैं।सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 142 का प्रयोग ऐसी महत्त्वपूर्ण नीतियों में परिवर्तन के लिए कर सकता है जो जनता को प्रभावित करती हैं।
जब अनुछेद 142 को संविधान में सम्मिलित किया गया था तो इसे इसलिए वरीयता दी गई थी क्योंकि सभी का यह मानना था कि इससे देश के वंचित वर्गों और पर्यावरण का संरक्षण करने में सहयोग मिलेगा। जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है । सुप्रीम कोर्ट ऐसे आदेश दे सकता है जो इसके समक्ष लंबित पड़े किसी भी मामले में न्याय करने के लिये आवश्यक हों। न्ययालय ने अपनी इस शक्ति का इस्तेमाल कर निर्णय सुना दिया।
खैर जब पहले ही कहा जा चुका था कि हम भारत की अदालत का सम्मान करते हैं और उसका निर्णय जो भी होगा पक्ष में या खिलाफ हम उसे स्वीकार करेंगे तो अब फिर मजहबी और सियासी रहनुमाओं का अचानक नया राग अलापना क्या है? कौम को यह भी सवाल करना चाहिए कि हम पी एम केयर फंड का हिसाब तब मांगेगे जब हमें बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी को मिले चंदे और उस मामले में हुए खर्च का ब्योरा दिया जायेगा ।देखते देखते लोग अमीर हुए और इस सिलसिले में हुए दंगों के चलते जो परिवार तबाह हुए उनकी खैर खबर भी नहीं ली गई ,चन्द मुफाद परस्त लोगों के गिरोह ने खुद को मुसलमानो का कायद घोषित कर दिया और एक पर्सनल बोर्ड को मुस्लिम आवाम का प्रतिनिधि बना दिया गया।
कौम को बेईमान कयादत ने पहले लगातार डर दिखाकर बेवकूफ बनाया जिसका नतीजा आज पूरा समाज भुगत रहा है किसी एक दल की दलाली कर अपनी जेबे भरी गई और जब उस दल ने अपने पत्ते खोले तो शर्म जैसी कोई चीज भी इन खाते पीते चेहरों पर नहीं दिखी ,मुसलमानों ने पहली गलती बीजेपी को अछूत मानने की कर दी और इसमें भी इन्हीं मजहबी ठेकेदार और सियासी बिकाऊ कयादत की मिलीभगत रही जिससे हुआ यह कि बीजेपी को अपनी एकतरफा सियासत करने का पूरा मौका मिला और उसे उसने बड़ी मेहनत से पूरा कर दिया नतीजा आज जब मंदिर का शिलान्यास हुआ तो सभी राजनैतिक दल जिनकी हिमायत में खड़े यह सियासी बिकाऊ रहनुमा और बेईमान कायद कौम को वरगलाते रहे थे ने जिस तरह खुल कर मंदिर निर्माण का क्रेडिट लेने की कोशिश की या अब हिंदुत्व की राजनीति करने की अपनी प्रबल इच्छा दिखाई उसने मुसलमानो की गलती पर मुहर लगा दी कि अब तक वह सिर्फ बेवकूफ बनाए जा रहे थे।
इसी बीच असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोग भी बेनकाब हुए क्योंकि वह हैदराबाद शहर में जब सेक्रेटेरिएट के अंदर बनी मस्जिद को प्रशासन ने गिराया तो चुप्पी साध गये वहीं सिर्फ मुसलमान और हिन्दू की नफरत बढ़ाने के लिए चीखते नजर आये कि बाबरी मस्जिद थी ,है ,और हमेशा रहेगी साथ ही पर्सनल बोर्ड का भी यही रवैय्या रहा ।
इन लोगों के जरिए हमेशा कौम को बेवकूफ बनाकर लूटा गया है मैं किसी मसलक किसी फिरके की हिमायत नहीं कर रहा सभी का हाल एक जैसा है लिहाज़ा होशियार रहना होगा चेहरों दाढ़ी य टोपी का फरेब अब अगर आपको अपने चंगुल में फांस लेता है तो विनाश तय है।
70 सालों में जो धोखा हम लगातार खाते आये 5 अगस्त 2020 का दिन हमारी आंख खोलने वाला रहा जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार को हमें धन्यवाद देना चाहिए ,क्योंकि उन्होंने हमें बताया कि सब उसी एजेंडे पर हैं जिसपर बीजेपी खुल कर चलती है लेकिन इसमें हमारे लिए निराशा का कोई पहलू नहीं है बल्कि हमें दुगने उत्साह से उठना होगा और दलगत राजनीति की जगह ईमानदार राजनैतिक विकल्प देश को देना होगा जिसकी शुरुवात इसी चुनाव से की जानी चाहिए वहीं हर तरह की बेईमान कयादत और बिकाऊ रहनुमाओं को खुल कर नकारना होगा।
यदि हम अभी भी नहीं जागे तो आने वाला समय और भी बुरा होगा लिहाज़ा सबसे पहले पूरे समाज को यह तय करना होगा कि अपने बीच मुखबिरों की टोली को पहचान लें और उनका सामाजिक बहिष्कार करें ,मजहबी शैक्षणिक ढाबों का बहिष्कार करें उनकी जगह बड़ी यूनिवर्सिटी और कॉलेज को तामीर करें जिसमें मजहब भी पढ़ाया जाये लेकिन इनका मनेजमेंट किसी भी कीमत पर किसी मजहबी ठेकेदार के हाथ में न दिया जाये और एक राष्ट्रीय ,राज्य एवं जनपद स्तर पर बैतुलमाल का गठन हो लेकिन यहां भी कड़ी निगरानी हो और इसकी सभी जानकारी सार्वजानिक की जाएं ।……………..जारी है
किस्त -1।
यूनुस मोहानी
9305829207,8299687452
younusmohani@gmail.com

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