प्रेस रिलीज़
13 मई 2022,शुक्रवार लखनऊ,
आज 13 मई 2022 को मौलाना हसरत मोहानी कौमी वेलफेयर फाउंडेशन ने लखनऊ में मौलाना हसरत मोहानी की पुण्य तिथि पर एक गोष्टी का आयोजन किया ,13 मई सन 1951 को महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना हसरत मोहानी ने लखनऊ स्तिथि फिरंगीमहल के बाहरी कमरे में आखरी सांस ली ,

मौलाना हसरत मोहानी कौमी वेलफेयर फाउंडेशन हर साल इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित करता है आज भी इस अवसर पर फाउंडेशन के द्वारा सुबह कुरान ख्वानी का आयोजन किया गया फिर फातिहा और लंगर बांटा गया और मौलाना की कब्र पर जाकर गुलपोशी की गई इसके बात एक संगोष्ठी का आयोजन फाउंडेशन के कार्यालय सरफराजगंज लखनऊ में किया गया जिसमें मौलाना के जीवन पर प्रकाश डालते हुए फाउंडेशन के अध्यक्ष यूनुस मोहानी ने कहा कि मौलाना हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल थे जहां वह एक मुस्लिम धर्म गुरु थे वहीं एक असीम कृष्णभक्त भी उनके अंदर दिखता था।
यूनुस मोहानी ने कहा कि मौलाना हसरत मोहानी भारत के ऐसे सुपूत का नाम है जिसने न सिर्फ भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी बल्कि आगे जाकर भारत कैसे तरक्की कर सकता है उसकी नीव भी रखी ,मौलाना स्वदेशी आंदोलन के ब्रांड एंबेसडर थे और भारत में पहला स्वदेशी स्टोर उनके द्वारा ही खोला गया यह मुल्क की तरक्की की नीव है क्योंकि भारत की तरक्की स्वदेशी के प्रति हम भारतीयों के झुकाव से ही मुमकिन है यदि आज भी हम सब विदेशी ब्रांड को नकार कर मौलाना की तरह संकल्प ले लें की भारतीय ही पहनेगे ,भारतीय ही खायेंगे या फिर जो भी मुमकिन होगा हम स्वदेशी ही अपनाएंगे तो देखते देखते हमारी घरेलू इंडस्ट्री तरक्की कर जाएंगी और हमारा देश एक विकसित देश बन जायेगा।
हसरत की नजर से अगर हिंदोस्तान देखेंगे तो सब भारत के लाल दिखेंगे कोई मजहब की दीवार नहीं दिखेगी यही नजरिया भारत की तरक्की का नजरिया है यूनुस मोहानी ने कहा की देश में जिस तरह की नफरत पनप रही है उसे शांत करने के लिए हमें मौलाना हसरत मोहानी से सीखना होगा क्योंकि हसरत का नज़रिया ही भारत बचा सकता है।
संगोष्ठी में बोलते हुए फाओंडेशन के सचिव एडवोकेट परमानंद प्रसाद ने कहा कि ब्रिटिश प्रेस एक्ट के अंतर्गत जेल जाने वाले पहले भारतीय पत्रकार मौलाना हसरत मोहानी इंसानियत पसंद व्यक्ति थे उन्हें भेदभाव करने वाले लोग नहीं भाते थे यही वजह है जिस समय लोग दलितों के साथ बैठने में शर्म करते थे ऐसे समय में बाबा साहब अम्बेडकर के साथ एक प्लेट में खाना खाने वाले हसरत देश को पैगाम दे रहे थे कि आगे बढ़ने का बस यही प्रेम एक रास्ता है वरना उलझाने वाले देश से अपनी दुश्मनी निभाते रहेंगे।
संगोष्ठी में एडवोकेट पूनम त्रिपाठी,फाउंडेशन के उपाध्यछ मोनिस मोहानी,समाज सेवक ज़ुबैर मोहानी, शारिक मिनाई,इकराम मुहम्मद फरीदी , सबा खानम ,मुहम्मद अजीम नकवी कैफ़ी,ने भी अपने विचार रखे ।इस मौके पर मौलाना को खिराजे अकीदत पेश की गई और जल्द ही मौलाना हसरत मोहानी पत्रकारिता पुरस्कार वितरण की तिथि घोषित कर एक कार्यक्रम के आयोजन पर सहमति बनी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here