अब बेटियां कैसे पढ़ेंगी ,ज़रा बताइए मां अपनी शहजादी को कैसे विश्विद्यालय भेजे ,कैसे कोई पिता अपनी राजकुमारी को हॉस्टल में रहने की इजाज़त दे सुनते है कभी आपकी पुलिस मारती है अब दिख रहा है गुंडे भी हमला कर देते हैं।

बेचारी पुलिस कितनी भोली है कहीं बलवाइयों के पीछे लाइब्रेरी में घुस जाती है कहीं गुंडों को पकड़ने के लिए वीसी साहब के आदेश का इंतजार करती है करे भी क्या बेचारी ,साथ ,विकास ,विश्वास जाने दीजिए साहब देश की बेटी को पढ़ने तो दीजिए।

यह गुहार है जनता की, यह पुकार है बेबस मां की,एक पिता की लाचारी आप से गुहार लगा रही है ज़रा मुंह तो खोल दीजिए कुछ तो बोल दीजिए, हम तो आपकी भाषण शैली के दीवाने हैं आप तो मंत्रमुग्ध कर देते हैं ज़रा कुछ कहिए तो सही।

खैर थोड़ा सब्र कीजिए जेएनयू में नक्सल पकड़े जाएंगे मेरा विश्वास कीजिए आखिर दिल्ली की पुलिस है सब पता रखती है बस बताना ही तो बाकी है आपको बता भी देगी।

मुंह में कपड़ा बांधने वालों को कैसे पहचाना जाएगा यह तो आपने बताया ही नहीं फिर भला हम कैसे पहचाने अबकी किसी रैली में इसका भी खुलासा कीजिए जिल्लेइलाही,वैसे कानून के पक्ष में मिसकॉल तो खूब आ रही है क्या वसंतकुंज थाने का भी नम्बर ऐसा ही है जेएनयू के वीसी और रजिस्ट्रार साहब भी शायद मिस कॉल में व्यस्त होंगे तभी बेटियों कि चीखें नहीं सुनाई दी आखिर वह मधुर आवाज़ जो सुन रहे होंगे कि आपका समर्थन कानून के पक्ष में दर्ज हो गया है भारत माता की जय।

प्रोफेसर साहब भी कैंपस में महफूज नहीं हैं ,अभी तक तो सुनसान रास्तों से बेटियां डरती थीं अब शिक्षा के मंदिर में भी डर लगता है आखिर यह कैसा न्यू इंडिया है? राजनीति से मेरा कोई सरोकार नहीं है साहब लेकिन सुरक्षा तो हम भी चाहते हैं आखिर कैलाश विजवर्गीय शहर में आग लगा देने की बात कर रहे हैं ज़रा बताइए तो सही हम कहां सुरक्षित हैं?

उत्तर प्रदेश की मासूम पुलिस जिसे बुरी तरह बलवाइयों ने पीटा हमारी सारी हमदर्दी उसके साथ है आखिर कितनी मजलूम है पुलिस अब देखिए ज़रा दिल्ली में भी इस पर कितना ज़ुल्म हो रहा है छात्र छात्राओं को जाने दीजिए इन मजलूमों को सुरक्षा दीजिए कि हर पुलिस वाले को एक एक नकाबपोश दे दीजिए उसकी सुरक्षा के लिए।

मैं कोई इल्ज़ाम नहीं लगा रहा आप देश के विकास में व्यस्त हैं सब जानते हैं आपको बिलावजह हम परेशान नहीं करना चाहते हैं अभी भी बहुत सारे सार्वजानिक उपक्रम बचे हैं आखिर अभी उनके लिए खरीदार देखने होंगे या फिर अंबानी साहब को मनाना होगा कि आप देश पर उपकार कर दीजिए इसे खरीद लीजिए।

ज़रा बताइए आप कितना व्यस्त हैं अब बेरोजगारी बढ़ रही है तो आप इसके लिए कैसे ज़िम्मेदार हो सकते हैं जब नेहरू ने कुछ किया ही नहीं तो आप क्या करें ?चलिए कम से कम इन बेरोजगारों को काम तो मिल ही गया है मुंह पर कपड़ा बांधो और लोगों को शिक्षा लेने से रोकने के लिए अराजकता करो ताकि और लोग न पढ़ें जिससे धीरे धीरे बेरोजगारी घटेगी ।

अरे मैं भी किन बकवास बातों को करने बैठ गया आखिर कौन अर्थव्यवस्था की बात करे सुना है बहुत बुरी हालात है लेकिन एक बात तो है जो माननी पड़ेगी वह यह कि 2020 में भारत विश्व गुरु बन ही गया हसिए मत आंखे खोले रखिए हर वक़्त बस सरकार की बुराई सूझती है आपको पता नहीं अमेरिका भी भारत का अनुसरण करता है,अब हम उससे नहीं वह हमसे सीखता है अभी ताज़ा ही मामला है जनाब जब ईरान के एक बड़े सैन्य कमांडर को ड्रोन हमले में क़त्ल किया गया है अब चुनाव नजदीक है ट्रंप साहब को राष्ट्रवाद की बात समझानी पड़ेगी न ,अब यह और बात है कि अमेरिकन हम भारतीयों से कितना अलग सोचते हैं वैसे मैंने बालाकोट वाली कोई बात नहीं की है न आप उसे समझिए।

अभी फिलहाल देश के शिक्षा के मंदिर अपनी सुरक्षा की बांट जोह रहे हैं कुछ बेटियां दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर बैठी है शायद उन्हें लग रहा होगा यहीं शायद वह सुरक्षित हैं वैसे डरने की जरूरत नहीं है गृहमंत्री ने दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी ही ली है शायद उन्हें बता दिया होगा कि किसी नकाबपोश को कोई चोट नहीं आयी है सबको सुरक्षित निकाल दिया गया अब स्थिति सामान्य है।

सोशल मीडिया की चिड़िया बहुत शोर कर रही है आपभी सुनिए आखिर क्या कहा जा रहा है ,हिंसा हल हरगिज़ नहीं है देश को सुलगाने वाले आपके खुले दुश्मन हैं होशियार रहिए अफवाहों पर ध्यान मत दीजिए लेकिन ज़ुल्म के खिलाफ चुप्पी सही नहीं इसलिए सवाल वहीं है कि क्या अब भी पढ़ें बेटियां?

यूनुस मोहानी

younusmohani@gmail.com

9305829207,8299687452

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here