चुनाव में गठबंधन कोई नई बात नहीं है, अलग अलग विचारधाराओं वाले दल एक साथ आ जाते हैं और ऐसा ही बेमेल गठबंधन है सपा और बसपा का ,समाज के एक बड़े वर्ग की मान्यता अनुसार राम का अपमान करने वाली माया के साथ अखिलेश की जुगलबंदी जनता को रास नहीं आ रही ।दूसरी तरफ बीजेपी जिसने राममंदिर मुद्दे को पीछे कर दिया और अपने संकल्प पत्र के 40 वें पेज पर उसे मात्र दो लाइन में जगह दी है वहीं कश्मीर मुद्दे और धारा 370 पर कोशिश करने जैसी बात करके खुद को कमजोर किया है ,ऐसे में जनता का मूड है राम का अपमान करने वालों को सबक सिखाने का लेकिन बीजेपी की कमजोरी और कई सीटों पर अनजान चेहरा और कमजोर प्रत्याशी होने की वजह से लोग विकल्प ढूंढते नजर आ रहे हैं।
ऐसा ही माहौल उत्तर प्रदेश की फ़िरोज़ाबाद लोकसभा सीट पर है जहां नामांकन के आखरी दिन अचानक बीजेपी ने अपना प्रत्याशी दिया ,जबकि यहां से गठबंधन ने वर्तमान सांसद अक्षय यादव को फिर से मैदान में उतारा है लेकिन उन्हें सीधी चुनौती अगर कोई दे रहा है तो वह है मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव और वही हैं जो अक्षय को हरा सकते हैं क्योंकि उनके पास पर्याप्त मात्रा में यादव के साथ अन्य वोट भी है ,यूं भी यादवों के सर्वमान्य नेता मुलायम सिंह के बाद वह दूसरे नेता हैं जो लोगों से व्यक्तिगत रूप से जुड़ें हैं ।
समाजवादी पार्टी में रहते हुए वही एक नेता रहे हैं जो लोगों से सहजता के साथ मिलते रहे हैं और उनके दुख सुख में शामिल रहे हैं वहीं रामगोपाल यादव हैं जिनके पुत्र अक्षय यादव फ़िरोज़ाबाद से उम्मीदवार हैं उनके स्वभाव से जनता त्रस्त है देश के वीर सैनिकों के बलिदान पर ओछी बयानबाज़ी करने वाले रामगोपाल से जनता बेहद नाराज़ है वहीं अक्षय का कभी क्षेत्र में लोगों के साथ न खड़ा होना भी गुस्से की वजह है ।
लेकिन सपा बसपा के गठबंधन के बाद उनकी लड़ाई मजबूत हुई है और उन्हें हराने की क्षमता मात्र शिवपाल में हैं ऐसे में राम के अपमान का बदला लेने की बात कहने वाले वोटर शिवपाल की तरफ घूम सकते हैं और यही एक समीकरण गठबंधन को सबक सिखा सकता है।

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