बंगाल की राजनीति में सक्रिय नए मुस्लिम व्यापारी: इमाम

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अब्बास सिद्दीकी ने पीरी मुरीदी से आगे सत्ता साझा करने का दावा किया

कलकत्ता, 2 मार्च (प्रेस विज्ञप्ति)
इन्डियन मुस्लिम अवेयरनेस मूवमेंट (इमाम) ने रविवार को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में कांग्रेस लेफ्ट एलायंस की बैठक में अब्बास सिद्दीकी के भाषण को खारिज करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में पहली बार मठों से जुड़े लोग भी सत्ता का दावा कर रहे हैं। , मुसलमान वोट के व्यापारी के रूप में उभरे हैं। आज अपनी बैठक में, इमाम ने बंगाल में चुनावी स्थिति की समीक्षा की जिसमें यह सहमति बनी कि कि अगर राज्य में मुस्लिम वोटों के विभाजन का माहौल होता है, तो बंगाल बिहार की राह पर ही आगे बढता दिख रहा है।
इमाम के संस्थापक अध्यक्ष अशहर हाशमी ने कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखना प्रत्येक जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी है, मुसलमानों का वोट यदि बटेगा तो धर्मनिरपेक्ष दलो के लिए मुश्किल होगी , केवल धर्मनिरपेक्ष वोटों, विशेष रूप से मुस्लिम वोटों के बंटवारे के माध्यम से ही भाजपा-आरएसएस सत्ता में आने में सफल होती है।
कांग्रेस और वामपंथी दल किसी समय बंगाल की राजनीति पर हावी थी और अब भी बेमानी नहीं है, लेकिन अब्बास सिद्दीकी जैसे लोगों को इस मुकाम पर लाकर उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा-आरएसएस को ध्रुवीकरण की राजनीति करने में मदद की है।
इमाम के महासचिव एडवोकेट यूनुस मोहानी ने पश्चिम बंगाल में त्रिकोणीय मुकाबले को वास्तविक राजनीतिक स्थिति करार दिया और कहा कि हमें हर परिस्थिति में मुस्लिम वोटों के बिखराव को रोकने के लिए अपनी सारी ताकत झोकनी चाहिए ,और मैदान में उतर कर एक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए कि लोग अधिक से अधिक वोट करें और उनका बिखराव न होने पाए साथ ही इन मुस्लिम वोटों के सौदागरों से भी होशियार रहें। उन्होंने पूरी इमाम की टीम को अप्रैल के अंत तक बंगाल में रहने के लिए कहा और खुशी जताई कि आंदोलन के संस्थापक और अध्यक्ष अशहर हाशमी महीनों से यहां काम कर रहे हैं और संगठन का काम संतोषजनक रूप से चल रहा है।
जहाँगीर आदिल ने कहा कि वह जल्द ही बंगाल पहुंच रहे हैं और उत्तर बंगाल को अपना केंद्र बनाकर काम शुरू कर देंगे। बिहार के सीमांचल में मुस्लिम बहुल या घनी आबादी वाले क्षेत्रों में वोटों के बिखराव के खिलाफ एक सार्वजनिक अभियान जल्द ही शुरू किया जाएगा।
इमाम के सचिव जहाँगीर आदिल ने सम्मेलन का आयोजन एवं संचालन किया। सोहेल खान परोलिया, आरिफ हाशमी बर्धमान, सैयद मोइज़-उर-रहमान बर्धमान, खुर्शीद आलम हावड़ा, अख्तर इमान हावड़ा, इमाद-उद-दीन हावड़ा, मुहम्मद आलमगीर परोलिया, शौकत अली बेतिया, सोहराब खान शेरघाटी, औरंगजेब अरमान पटना , अतीकुज्ज़मा पटना , प्रो नायब अली नालंदा, हाफ़िज़ खुर्शीद आलम सिकंदराबाद, एडवोकेट शकील अहमद हैदराबाद, रज़ीउद्दीन कलकत्ता, वकार आलम कलकत्ता ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए अब्बास सिद्दीकी की आलोचना की और सर्वसम्मति से कहा जिस तरह खानकाहों ने अपना असल काम रुश्दो हिदायत,रूहानी इलाज, दीन की तबलीग़ और इंसानियत की खिदमत को पीठ पीछे डालकर सियासत में हिस्सेदारी मांगने की नई कोशिश शुरू की उससे मुसलमानों को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचेगा, बल्कि इन संस्थानों की विश्वसनीयता को भी भारी धक्का लगेगा।

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