जी मस्जिद में बसते हैं राम यह ऐसा सच है जिसपर धर्म के ठेकेदारों की बहस शुरू हो जायेगी, कोई मुझे इस्लाम विरोधी कहेगा और कोई देशद्रोही लेकिन इसके डर से सच से मुंह मोड़ लिया जाए यह तो इंसाफ नहीं है, चलिए आप भी कुछ पल के लिए मेरी तरह सोचिए समाज के डर को परे रखकर हो सकता है आपको भी वहीं महसूस हो जो मुझे महसूस होता है।
यहां मैं एक बात साफ कर दूं कि मैं किसी धर्म के मानने वालों पर कोई तंज़ नहीं कस रहा बल्कि सिर्फ एक सच को कहने की हिम्मत कर रहा हूं, अगर आप सनातनी है तो आप सवाल कर सकते है कि श्री राम का मस्जिद से क्या वास्ता वहीं अगर आप मुसलमान हैं तब भी आपका कहना होगा कि राम का मस्जिद से क्या वास्ता मैं सही कह रहा हूं न बोलिए?
आइये देखें तो सही मैं जो कह रहा हूं उसका कोई कारण भी है या यूंही एक विचार लेकर आ गया ताकि लोग इसी पर उलझ जायें क्योंकि यह तो आजकल का सबसे पसंदीदा हथियार है कि लोगों को मूल प्रश्नों से भटका कर उन्हें आपस में उलझा दो ताकि वह उसपर बहस करते रहें और चुपचाप अपने सारे काम कर डालो खैर मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा है वैसे हिन्दू धर्म में पुराणों का बड़ा महत्व है और यही पुराण कहता है रमंते सर्वत्र इति रामः” अर्थात जो सब जगह व्याप्त है वो राम है। वहीं राम को यूं भी परिभाषित किया गया है रमन्ते योगीनां यस्य सः रामः जिसमें योगी लोग रमण करते हैं वो राम है।
जबकि वेद में उस परमपिता परमेश्वर वह एकमात्र ईश्वर जो सबका पालनहार है उसको यूं पहचनवाया सर्वशक्तिमान, स्थूल, सूक्षम तथा कारण शरीर से रहित, छिद्र रहित, नाड़ी आदि के साथ सम्बन्ध रूप बंधन से रहित, शुद्ध, अविद्यादि दोषों से रहित, पाप से रहित सब तरफ से व्याप्त हैं। जो कवि तथा सब जीवों की मनोवृतिओं को जानने वाला और दुष्ट पापियों का तिरस्कार करने वाला हैं। अनादी स्वरुप जिसके संयोग से उत्पत्ति वियोग से विनाश, माता-पिता गर्भवास जन्म वृद्धि और मरण नहीं होते वह परमात्मा अपने सनातन प्रजा (जीवों) के लिए यथार्थ भाव से वेद द्वारा सब पदार्थों को बनाता हैं।-यजुर्वेद ४०/८
यजुर्वेद जिस राम को परिभाषित करता है वह वहीं राम है जिसे पुराण ने रमंते सर्वत्र इति राम कहा जबकि ऋग्वेद कहता है , उत्पादक परमात्मा पीछे की ओर और वही परमेश्वर आगे, वही प्रभु ऊपर, और वही सर्वप्रेरक नीचे भी हैं। वह सर्वव्यापक, सबको उत्पन्न करने वाला हमें इष्ट पदार्थ देवे और वही हमको दीर्घ जीवन देवे।ऋग्वेद १०/२६/१४ यानी यहां भी बात वहीं हर जगह रमने वाले राम की जबकि अथर्ववेद के अनुसार ब्रह्मा सर्वत्र फैला हुआ हैं। अथर्ववेद १०/८/१२ यह तो बात हुई कबीर के राम की यानी रहीम के राम की वही राम जो तुलसी के राम हैं जो रोम रोम में बसे हैं और योगियों के आराध्य ॐ में सम्हित हैं।

वहीं इस्लाम के अनुयाई भी बिल्कुल यही तो मानते हैं क़ुरआन कि सुराह इखलास
बिस्मिल्ला–हिर्रहमा–निर्रहीम कुल हुवल लाहू अहद ,अल्लाहुस समद,लम यलिद वलम यूलद, वलम यकूल लहू कुफुवन अहद शुरू अल्लाह के नाम से जो बहुत बड़ा मेहरबान व निहायत रहम वाला है। आप कह दीजिये कि अल्लाह एक है,अल्लाह बेनियाज़ है,वो न किसी का बाप है न किसी का बेटा,और न कोई उस के बराबर।
ईश्वर एक है यह तो सभी मानते हैं क़ुरआन कि सुरः अल बक़रा में वर्णित है
أَلَمۡ تَعۡلَمۡ أَنَّ ٱللَّهَ لَهُۥ مُلۡكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۗ وَمَا لَكُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ مِن وَلِيّٖ وَلَا نَصِيرٍ
क्या तुम ये नहीं जानते कि आकाशों तथा धरती का राज्य अल्लाह ही के लिए है और उसके सिवा तुम्हारा कोई रक्षक और सहायक नहीं है?

अब सवाल यह है कि जब धर्म यह कह रहा है तो ठेकेदार उससे उलट क्यों बता रहे हैं आखिर कुछ तो है जिसकी पर्देदारी है क्योंकि अगर मंदिर में भी रहीम है और मस्जिद में भी राम तो फिर इबादतगाहों के झगड़े क्यों?वैसे आपको एक बात और बताता चलूं मुसलमानों के पवित्र तीर्थ काबा के हरम में युद्ध हराम है वहां रक्तपात बिल्कुल वर्जित है यानी जिसे अल्लाह का घर यानी बैतुल्लाह कहते हैं वहां खून बहाना हराम है रहीमो रहमान के घर रक्तपात की जगह नहीं तो सुनिए राम की अयोध्या वही राम जो सर्वत्र रमता है उसका नाम ज़रा गौर से पढ़िए वह नगरी जिसे युद्ध कर जीता न जा सके अगर इसे दूसरे शब्दों में कहें वह नगरी जहां युद्ध वर्जित है मतलब साफ है जहां रक्तपात वर्जित है यानी खून हराम है यह अयोध्या राम का धाम है।
आप ऊबने लगे होंगे क्योंकि आपको मसाला नहीं मिल रहा है जिसपर बहस की जा सके दिलों में नफरत पैदा की जा सके लेकिन आप एक बार सोचिए तो सही कबीर क्या कह रहे हैं निगुण सगुन दोउ से न्यारा, कहैं कबीर सो राम हमारा ॥

सिर्फ यही नहीं कभी गुरु नानक देव से सुनिए कैसा है उनका राम जिसकी महर का असर बेखौफ कर देता है करम खंड की बाणी जोरु ॥ तिथै होरु न कोई होरु ॥तिथै जोध महाबल सूर ॥ तिन महि रामु रहिआ भरपूर ॥यानी बख्शिश, रहिमत वाली अवस्था की बनावट बल है, क्योंकि उस अवस्था में अकाल-पुरख के बिना और कोई दूसरा बिल्कुल नहीं रहता। उस अवस्था में योद्धे, महांबली व सूरमें हैं, उन के रोम रोम में अकाल-पुरख बस रहा है।नानक देव जी जो कह रहे हैं वही तो उस रहमान के दोस्तों की विशेषता है जिसे मैं रहीम कहता हूं जिसे आप राम पुकारते है उसके मित्र सूफ़ी संत कहलाते हैं जिनके लिए कुरआन कहता है कि “नहीं इनको कोई खौफ और गम” कभी वक़्त मिले तो सोच लीजिएगा कि आखिर सब एक बात क्यों कह रहे हैं लेकिन धर्म के ठेकेदार उसे बदल क्यों दे रहे हैं लेकिन मेरे राम तो वह हैं जो रोम रोम में बसते हैं जो पालनहार हैं जो जन्मदाता है

इस संसार के रचनाकार हैं वही जिन्हें रहीम भी जानते हैं रहमान भी जिन्हें गॉड कहते हैं वाहे गुरु भी जो कबीर का राम है मीरा का भी ,नानक का और तेरा और मेरा भी तभी तो कहता हूं मैं मस्जिद में बसते हैं राम इसे किसी फैसले किसी अदालत किसी भूमि और किसी सियासत से मत जोड़िए सियासत बांटने का काम करती है

राम जोड़ते है तभी मोहम्मद इकबाल कहते हैं “है राम के वजूद पर हिंदोस्तान को नाज़, अहले नज़र समझते हैं उसको इमामे हिन्द”।शायर ने यूं भी कहा है यह सब जब आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के फिर क्यों यह झगड़े हैं रहीमो राम के अब समझना आपको है मेरा राम तो हर जगह हैं मस्जिद में भी बसता है ।
यूनुस मोहानी
8299687452,9305829207
younusmohani@gmail.com

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