संजीत यादव की मां और बहन बिलखते हुए

मुबारक हो अब लाश महंगी हो गई है,विकास जो हो रहा है ,इसे ही तो कहते हैं व्यापार ,और व्यापार में बड़ा मुनाफा! जब लाश महंगी है तो निश्चिंत हो जाईए आपका भविष्य उज्जवल है ।आखिर आप यही तो परेशान थे कि कोई कीमत नहीं है आदमी की, लीजिए एक योगी के राज्य में लाशों की कीमत बढ़ गई है।
आप मेरी बात को मज़ाक समझ रहे हैं ?ओह शायद आपका खबरिया चैनलों और विज्ञापन वाले अख़बारों से मोह भंग हो गया है ?तो हम बता देते हैं कि उत्तर प्रदेश जो अब उत्तम प्रदेश कहलाता है जहां रामराज्य आ गया है वहीं की राजधानी लखनऊ से सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी पर एक अपहरण हुआ था ,जब पुलिस को सूचना दी गई और परिवार ने फिरौती के बारे में बताया तो परिवार वालो के अनुसार पुलिस ने उन्हें घर जेवर सब बेचकर 30 लाख रुपए एक बैग में रखकर देने को कहा और कहा कि जब वह अपराधी पैसे लेने आयेगा तो आपका अपहरित बेटा और पैसे दोनों बरामद कर लेंगे।लेकिन हुआ यह कि अपराधी पुलिस की नाक के नीचे से पैसे लेकर चले गये और पुलिस ढपली बजाती रही और फिर मिली खबर की अपहरित युवक की हत्या कर दी है अपहरणकर्ताओं ने । अब पुलिस 30 लाख की लाश ढूंढ रही हैं।

इस पूरे प्रकरण ने पुलिसिया कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था की हकीकत उजागर कर दी है ।खैर उत्तर प्रदेश की पुलिस शायद बहुत डरी हुई हो ?इसलिए रिस्क न ले रही हो यह भी मुमकिन है क्योंकि अभी बहुत दिन नहीं गुज़रे हैं जब भीतरघात या यूं कहें माफिया खाकी और खादी गठजोड़ के चलते 10 पुलिस कर्मियों ने अपनी जान गंवाई है इसकी भी जांच हो रही है और वैसा ही कुछ परिणाम आयेगा जैसा अबतक आता रहा है, इसलिए बहुत अधिक उत्सुकता का कोई मतलब नहीं है।

कोरोना बहुत तेज़ी से फैल रहा है पता नहीं कैसे ?क्योंकि सारी मस्जिद तो बंद हैं और मरकज भी बंद है लेकिन यह कोरोना थम नहीं रहा है ।

देश के महानायक अमिताभ के घर में घुस गया और रेखा के बॉडीगार्ड को भी हो गया

पता नहीं यह पनामा पेपर लीक जैसा है क्या कुछ कि कोई भी ज़द में आ जाता है?

मैं विषय से भटक गया मुझे तो लाशों की बात करनी है और उनकी बढ़ती कीमत की, पहले यह कीमत अस्पताल में चुकाई जाती थी आज भी होता है जब मरीज़ मर जाता है तो अस्पताल उनकी लाश को बंधक बना लेते हैं और परिजनों पर दबाव डालते हैं कि बिल जो सही या ग़लत इलाज का है उसे चुकता करें। लेकिन अब लाशों की कीमत उत्तर प्रदेश की पुलिस के माध्यम से दी जा रही है वह भी पूरे 30 लाख ।
संजीत यादव की मां और बहन रोती रहीं लेकिन पुलिस तो पुलिस होती है ।अभी देश में नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शनों का कोई मामला होता तो गिरफ्तारी होती

अपहरणकर्ताओं को पकड़ना उसका काम शायद नहीं है । उत्तर प्रदेश के कोई दरोगा बाबू अपनी कुर्सी पर बैठे हों ऐसे में कोई महिला अपनी बेटी के साथ कोई शिकायत लेकर आ जाये तो फिर दरोगा बाबू हस्थमैथुन उसी महिला के सामने शुरू कर दें तो समझ लीजिए आप उत्तर प्रदेश अरे माफ कीजिए उत्तम प्रदेश में ही हैं।
पुलिस यूंही ऐसा नहीं कर रही उसके साथ भी बड़ी परेशानी है कि उसे मालूम नहीं किसे पकड़ना है? किसपर कार्यवाही करनी है ?सत्ता की इच्छा के विरुद्ध कोई क्या कर सकता है ज़रा सोचिये अगर पुलिस स्वामी चिन्मियानंद से सख्ती बरतती तो सत्ता के कोप का शिकार हो जाती क्योंकि सरकार इनपर से रेप का मुकदमा हटाना चाहा रही थी अब भला बताईये कि पुलिस कैसे काम करे? अगर संजीत यादव के अपहरणकर्ताओं का ताल्लुक सत्ता से निकलता तो क्या होता? अब ऐसे माहौल में पुलिस भी बेचारी क्या करे।

लाशें वैसे प्रदेश में महंगी हैं और ज़िंदा जिस्म महज 100 रुपए में हैरान मत होइये आइये कभी चित्रकूट पहाड़ों के नीचे बिस्तर लगे हैं साहब और गरीब आदिवासी ,दलित बेटियों को जबरन नोचा जा रहा है मामला इतना घिनौना है कि लिखते हुए शर्म आती है कि प्रदेश के मुखिया गरीबों के खाते में पैसे ऑनलाइन भेज कर ताड़ी पीट रहे हैं और यह बेटियां पेट की भूख मिटाने के लिए शैतानों की हवस का शिकार हो रही है और इसके बदले उन्हें मिलते हैं बस 100 रुपए वह भी अपने बनाव श्रृंगार के लिए ताकि इन दरिंदों की जिस्म की भूख शांत हो सके मामला ज़्यादा तूल नहीं पकड़ा जबकि राष्ट्रीय मीडिया में चला फिर वही बात दलित आदिवासी शोषित पीड़ित लड़की की लड़ाई कौन लड़ेगा जिनके पास ठेका है वह तो सत्ता के करीब रहने के लिए खामोश हैं ।

वैसे एक बात पता चली है कि उत्तम प्रदेश में ब्राह्मणों पर जैसे यमराज गुस्सा हैं हर रोज़ कहीं न कहीं से एक खबर आ ही जाती है किसी न किसी ब्राह्मण की हत्या की ।अब तो पूरे- पूरे परिवार की हत्या हो रही है पहले तो सिर्फ दलित शोषित आदिवासी और मुसलमान ही पीड़ित थे अब यह ब्रह्म हत्या ,यहां एक बात याद आयी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने एक अहंकारी दुराचारी राक्षसी प्रवत्ति वाले ब्राह्मण रावण का वध किया था क्षत्रिय श्री राम ने धर्म की रक्षार्थ ब्राह्मण की हत्या की लेकिन अब उत्तम प्रदेश में जब क्षत्रिय श्री अजय सिंह बिष्ट योगी आदित्यनाथ जी का राज है वहां ब्राह्मणों की हत्या क्यों?

क्या ब्राह्मणों को रावण माना जा रहा है ? या उन्हें अधर्मी अत्याचारी और राक्षसी प्रवत्ति का? यह सिर्फ प्रश्न है मेरा विचार नहीं इसको आप अपने विवेक से समझें और उत्तर स्वयं में तलाश करें। वैसे विकास बहुत तेज़ गति से चल रहा है सारी सड़कें गढढा मुक्त कर दी गई है,महामारी से निपटने के लिए सारे इंतजाम कर दिये गये हैं,वेंटिलेटर इतने ज़्यादा हो गए हैं कि अब नये कमरे बनवाने पड़ेंगे उनको रखने के लिए,कानून व्यवस्था चाक चौबंद है सब सुरक्षित हैं ।
प्रदेश में 2 दिन हर सप्ताह में कोरोना की रफ्तार रोकी जाती है जिससे संक्रमण काफी नियंत्रण में है सरकार के इस बुद्धिमत्ता पूर्ण फैसले से व्यापारी वर्ग बहुत खुश है और घरों में थाली पीट रहा है ।

लेकिन जनता की एक मांग है कि सप्ताह के दो दिन होने वाले लॉकडाउन में जब शराब की दुकानें खुल रही हैं तो सर्राफा दुकानें भी खोली जायें क्योंकि दारू पीने के लिए गहने कहां बेचने जायें यह एक गंभीर समस्या बनी हुई है । वैसे देश के अल्पसंख्यकों के त्योहार बकरीद में ईदगाह और मस्जिद में सामूहिक नमाज़ पर पाबंदी है सोशल डिस्टेंसिग के पालन के बाद भी इसकी इजाज़त नहीं है क्योंकि कोरोना फैल सकता है वहीं रक्षा बंधन भी सूना सूना रहेगा लेकिन सिर्फ 2 दिन के बाद कोरोना का खतरा समाप्त हो जायेगा और सियासत में धर्म का गारा लगाकर मर्यादा पुरुषोत्तम के मंदिर निर्माण का भूमिपूजन और रामशिला रखी जाएगी ।

यह उन्हीं राम का मंदिर बनेगा जिनके राज्य में
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा।।
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।
चारिउ चरन धर्म जग माहीं। पूरि रहा सपनेहुँ अघ नाहीं।।
राम भगति रत नर अरु नारी। सकल परम गति के अधिकारी।।
अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा।।
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना।।
सब निर्दंभ धर्मरत पुनी। नर अरु नारि चतुर सब गुनी।।
सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी। सब कृतग्य नहिं कपट सयानी।।

आइए विकास की पलटी हुई गाड़ी से लाश की सौदेबाजी तक कहीं घी का दिया जलाने का अवसर मिल जाये तो जलाया जाये क्योंकि एक डॉक्टर कफील जिसने ज़िन्दगी बचाने का काम किया जेल में है और न्यायालय उसे तारीख दे रहा है

एक ईमानदार आई पी एस संजीव भट्ट सच कहने की सजा काट रहा है वहीं लोकतंत्र का मखौल उड़ाते हुए नेताओं की गुहार न्यायालय फौरन सुनता है शायद इसलिए ही लाशों का मोल बढ़ गया है क्योंकि लाशें अभिनय नहीं करती और लाश सच होती है।
यूनुस मोहानी
9305829207,8299687452
younusmohani@gmail.com

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