जी हां देश के माथे पर गुलामी की हर निशानी बदनुमा दाग ही तो है ? भला कौन रखता है अपने माथे पर दाग़, किसे पसंद हैं धब्बे वह भी ऐसे धब्बे जो आपको आपकी गुलामी की याद दिलाते हों ,आप ही बताइए क्या आप पसंद करेंगे? मुझे यकीन है आपका जवाब होगा बिलकुल नहीं बिलकुल भी नहीं तो फिर क्या यह समय सही नही है?#gyanvyapi
आप सोच रहे होंगे कि मैं फिर बेवक्त की शहनाई बजाने लगा अभी देश अपने सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न के उत्तर ढूंढ रहा है ऐसे में यह फिजूल बात क्यों ?

Gyanvyapi Masjid

आखिर कुछ बात ही करनी है तो ज्ञानव्यापी पर कीजिए ,अगर ज्यादा चर्चा करनी है तो कुतुबमीनार पर कीजिए आखिर #ताजमहल महत्वपूर्ण विषय है उसपर बात कीजिए यह क्या नया राग अलाप रहे हैं तो सुनिए मेरा जवाब मैं #ज्ञानव्यापी की बात क्यों करूं इसका कोई कारण मुझे आपने दिया है क्या ?#tejomahal
#Tajmahal

आप का दावा है कि #मस्जिद में #शिवलिंग मिला है इसे साबित करने का भार भी आपका है क्योंकि दावा भी आपका है रही बात कि अगर आपका दावा सच्चा भी है तो आप केंद्र सरकार से पहले कहिए की #उपासना स्थल (विशेष उपबंध)अधिनियम, 1991,को पहले समाप्त करे ससद में और आपके दावे के अनुसार फिर फैसला हो क्योंकि मामला यहीं फसेगा क्योंकि यह अधिनियम #15 अगस्त 1947 तक के अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने पर और किसी भी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाता है। अब अगर आप जैसे तैसे करके अपने दावे को सिद्ध भी कर दें तो इस अधिनियम के रहते न्याय यही होगा कि फैसला इसके अनुसार किया जाए खैर मेरा इससे कोई सरोकार नहीं है क्योंकि मामला न्यायालय में है और उसे ही फैसला करना है ।
#victoriapalace

मुझे इतिहास बताने का कोई शौक नहीं है क्योंकि हर व्यक्ति अपना अपना इतिहास लिए घूम रहा है जो मेरी इच्छा के अनुरूप होगा में उस इतिहासकार को सही मानूंगा वही आप भी करेंगे है न? जब ऐसा है तो क्यों मैं अपना वाला इतिहास जिसे मैं सही मान रहा हूं आपको सुनाऊं इसलिए इतिहास इतिहास खेलते ही नहीं हैं,और एक बात और बता दूं आपको मेरा या किसी भी भारतीय मुसलमान का न औरंगज़ेब से कोई ताल्लुक न अकबर से हम बस उसे एक राजा जानते हैं राजा अच्छा या बुरा हो सकता है मेरी नज़र में अगर वह एक ईमानदार शासक था तो आपको पूरा अधिकार है उसे अपने अनुसार क्रूर मानने का इसमें कोई जंग नहीं ।
#qutubminar

वैसे बात जो कुतुबमीनार पर की जा रही है उसमें भी यही अधिनियम आड़े आ रहा है और सिर्फ यही नहीं पुरातत्व विभाग भी बना हुआ है भारत में जो आपको उसका स्वरूप बदलने नहीं देगा लेकिन अगर आप चाहते हैं कि सरकार से टकराएं देश की राजधानी में जहां पूरे विश्व की मीडिया की निगाह बनी रहती है तो बिलकुल आप विवाद को बढ़ा दीजिए इससे सिर्फ देश की बदनामी होनी है और आप देशद्रोही तो हैं नहीं इसका तो मुझे विश्वास है तो अपने देश की किरकिरी की वजह आप खुद बने ऐसा आप कैसे होने देंगे ? लेकिन यहां भी एक बात समझ लीजिए देश के मुसलमानों की कोई आस्था कुतुबमीनार से नहीं जुड़ी और कुतुबुद्दीन ऐबक को कोई न्यायप्रिय शासक भी नहीं मानता यह सोने पे सुहागा है।
#DalhousieRaod new Delhi

और सुनिए ताजमहल की बात भी कीजिए क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त स्मारक है मतलब यह मकबरा है इसमें भी देश के मुसलमानों की न कोई आस्था है और न कोई वास्ता लेकिन इसमें भी आपके सामने भारत सरकार ही खड़ी है अंतरराष्ट्रीय दबाव का मसला है अब आपकी मर्जी कि इसकी खुदाई करवाइए या जो समझ आए कीजिए वैसे भारत सरकार ही इसकी कर्ता धर्ता है उनसे अगर आप इसे ले लें तो आपका अधिकार होगा तो यह मामला भी भारत सरकार से ही है अब आपकी मांग वहीं होनी चाहिए जो देने की क्षमता रखे वरना भिखारी से आप क्या मांग सकते है ?
#ElphinstoneRoad

मै तो कहता हूं लगे हाथ ऐसी सारी इमारतों की लिस्ट भारत सरकार को देकर उनसे इनका हस्तांतरण करवा लीजिए भारतीय मुसलमानों को इससे कोई मतलब नहीं है लेकिन हां एक बात आपसे और कहनी है भारत के मुसलमान ही नहीं बल्कि सभी धर्म संप्रदाय के लोगों को भारत के माथे पर दाग़ की तरह स्थापित गुलामी की निशानियों को भी हटा देना चाहिए बताइए आप सहमत हैं कि नहीं ?

आखिर क्यों किसी रास्ते का नाम अकबर रोड ,या औरंगजेब मार्ग हो बिलकुल सही है लेकिन यह माउंट बेटन,डलहौजी,जैसे नाम क्या आपको नहीं अखरते जब आप इन मार्गों से गुजरते हैं तो भगत सिंह याद नही आते ,आपको भारत के संसद भवन में प्रवेश करते हुए वीर सावरकर की याद नहीं आती कि जिन अंग्रेजो ने हमें गुलाम बनाया हम पर जुल्म किया और जिनसे लड़ कर हम आजाद हुए उनकी बनाई हुई इमारतों में बैठकर इठलाते हैं ? यह सवाल है देश के हर कोने में स्थापित ब्रिटिशर की संपत्ति मौजूद है और वह शत्रु संपत्ति नहीं है जबकि अंग्रेज हमारे दुश्मन थे हम उनसे लड़े उनसे देश आजाद करवाया तो क्या इन शत्रु संपत्तियों का अधिग्रहण भारत सरकार को नहीं करना चाहिए ? मैं जानता हूं आप यह सवाल अपने आप से भी करने की हिम्मत नहीं जुटा पायेंगे सरकार से तो दूर की बात है ,पूछिए तो मैं ऐसा आपके बारे में क्यों कह रहा हूं सुनिए मेरा जवाब कि आपकी सोच बंधक बना ली गई है आपको खबर भी नहीं है अगर ऐसा नहीं होता तो पिछले 75 सालों में आपने हिंदू मुस्लिम झगड़े किए लड़े यहां मंदिर वहां मस्जिद किया 300 साल पहले या उससे पहले क्या हुआ उसपर उलझे लेकिन ठीक 80 वर्ष के इतिहास पर आपकी नजर तक नहीं गई।

क्या यह संभव है कि हमने अपने घर के अपने गांव के अपने देश के जिन लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में शहीद होते देखा हो हम उनके हत्यारों की किसी निशानी पर सवाल न उठाते हों,ऐसे मानसिक अपंग हम कैसे हुए कभी सोचा ? विवाद धर्म के आधार पर पूजा स्थल का हो ही नहीं सकता क्योंकि चाहे मंदिर हो या मस्जिद गुरुद्वारा या गिरजा हर जगह से पुकारा तो उसी परमपिता परमेश्वर को ही जा रहा है उपासना का तरीका अलग है बस तो यह झगड़े का विषय कैसे बन गया और जिस गुलामी की हम बात करते हैं हम मानसिक तौर पर आज भी वहीं हैं ।
#IndiaGate

क्या आप खुश होते हैं उन निशानियों को देखकर जो अंग्रेजों की हैं ? आपको याद नही आती भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु,नेता जी,गांधी ,की कुर्बानी ? आपके पास कोई जवाब नहीं है क्योंकि आप मानसिक रूप से गुलाम बना लिए गए हैं सुनिए सोचिए जरूर ऐसा क्यों हुआ कि हम हजारों बरस के प्रेम को ठुकरा कर दुश्मनी पर उतारू हैं किसका मकसद है कहीं कोई घिनौनी साजिश तो नहीं? खैर आप मेरी बात शायद ही सुन सकें लेकिन याद रखिए हमें नफरत की कोठरी में कैद कर कुछ लोग राजमहलों में बहुत सुखी हैं क्योंकि उनसे आप सवाल नहीं करते आप नफरत के कारोबार में हैं अब आपके बच्चे बेरोजगार नहीं नफरत के व्यापारी बनाए जा रहे हैं आप उनके कारोबार को फलने फूलने की दुआ दे सकते हैं क्या ?
अगर आप समझ गए हों तो कहिए भारत भू पर गुलामी की कोई निशानी बर्दाश्त नहीं हम मुहब्बत की बात करते हैं नफरत से हमारा कोई सरोकार नहीं।
यूनुस मोहानी

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