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मुसलमानों पर पूरे देश में जुल्म के पहाड़ तोड़े जा रहे हैं मस्जिद ,दरगाह ,ईदगाह हर जगह हमले हो रहे हैं और उसके बाद प्रशासन की कार्यवाही में भी उन्हें ही पीसा जा रहा है उनके ही घर बिना किसी जुर्म के साबित हुए जमींदोज किए जा रहे हैं चारो तरफ से परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा है ,आप मुझसे भी कुछ इसी तरह की बातों की उम्मीद कर रहे होंगे जिसमें सिर्फ अपनी बरबादी का रोना होगा क्योंकि अब भारतीय मुसलमानों ने इसे अपनी आदत में शामिल कर लिया है।

आप तिलमिला गए होंगे कि मैं यह कैसे कह रहा हूं भला ,मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है तभी लोग उसकी बात कर रहे हैं अब हम अपने ऊपर हो रहे जुल्म के बारे में बात भी करना बंद कर दें और इसके बाद मुझ पर आरएसएस का दलाल या बीजेपी की बी टीम होने का इल्जाम थोप दीजिए यह आपका सबसे पसंदीदा हथियार है और आप इसे बखूबी इस्तेमाल करना जानते हैं ।

खरगौन में हिंसा का दृश्य

आप यह सब खूब शौक से कीजिए मुझे आपसे कोई गिला नहीं लेकिन क्या कभी आपने सोचा जो आप का अमल है उससे आपको कितना नुकसान हो रहा है ?

आइए शुरुवात करते हैं नोटबंदी से जैसे ही 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलान किया कि आज रात 12 बजे से पुराने 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर हो जायेंगे सबसे ज्यादा चीखा कौन था ? मुसलमान सच्चर कमेटी की लगातार बात करते हैं जब उनकी बदहाली की बात होती है तो सिर्फ जस्टिस सच्चर की रिपोर्ट और रंगनाथ मिश्र कमीशन की सिफारिश का रोना मुसलमान रोते हैं लेकिन जब नोटबंदी हुई तो आप सबसे ज्यादा चीखते सुने गए जबकि जस्टिस सच्चर के अनुसार मुसलमानों की हालत दलितों से ज्यादा खराब है यही नहीं उनके अनुसार 55% रेहड़ी पटरी ,फेरी दुकानदार मुसलमान हैं हमारी पहचान पंचर बनाने वाली कौम की बन चुकी है लेकिन हमें इस बात का दर्द सबसे अधिक हुआ कि पुराने 500 ,1000 के नोट बंद हो गए जबकि अधिकतर मुसलमानों के पास बैंक खाता ही मौजूद नहीं और बचत के मामले में भी वह दूसरी कौमों से पीछे है अब सवाल यह है कि जब आपके पास पैसा था ही नहीं तो आपने शोर क्यों मचाया जबकि जिन्हें सबसे अधिक इसकी मार पड़ी उन्होंने उफ्फ तक नहीं किया इसका असर यह हुआ कि सरकार यह समझाने में कामयाब हो गई कि हमने आतंकवाद की कमर तोड़ी है ।

जब बात आतंकवाद की होती है तो पहली तस्वीर जो दिमाग में बांटी है सुन एक टोपी दाढ़ी वाला इंसान होता है जिसके हाथ में बंदूक होती है इतना तो लोगों को समझा दिया गया है तो आपके चिल्लाने से सरकार का काम आसान हो गया और नोटबंदी से मुल्ले टाइट हो गए।
आइए अब बात करते हैं जीएसटी की इससे भी सबसे ज्यादा तकलीफ मुसलमानों को हुई जबकि उपभोक्ता के तौर पर बहुत सी चीजों में लोगो को राहत मिली मुसलमान उत्पादक या व्यापारी पूरे देश में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट के अनुसार सबसे निचले पावदान पर है लेकिन जीएसटी से सबसे ज्यादा परेशान मुसलमान हुए और सबसे ज्यादा आहें इन्होंने ही भरी और एक बार फिर सत्ता कामयाब हुई और मुल्ले टाइट।

सिर्फ इतना ही नहीं देश में कोई भी विवाद हो जो मुसलमानों से संबंध रखता हो या न रखता हो सबसे मुसलमान अपना संबंध जोड़ कर अपनी पूरी ऊर्जा खपा देते हैं, किसान आंदोलन में जितना सक्रिय अन्य लोग नहीं दिखे उससे अधिक सोशल मीडिया पर किसानों का हौसला बढ़ाने के लिए मुसलमान नजर आए ,नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का विरोध करना हो,प्रधानमंत्री के नए हवाई जहाज पर बात करनी हो,या फिर एंटी रोमियो स्कॉट और मीट बैन पर हाय तौबा मचानी हो हम अगली साफ में खड़े मिलते हैं हमें बस इतना पता होना चाहिए कि यह काम बीजेपी ने किया या इसमें आरएसएस का हाथ है हमें इसे गरज नहीं कि हमारा इससे सरोकार है कि नहीं इससे नुकसान किसे ज्यादा है बस हम शुरू हो जाते हैं और नतीजा वही मुल्ले टाइट।

आइए अब हालिया घटना पर बात करते हैं जहां देखिए मस्जिद और ईदगाह की तस्वीर के साथ विधवा विलाप किया जा रहा है हर तरफ सैलाब आया हुआ है मस्जिद पर भगवा फैराते गुंडों की तस्वीरों का हालांकि यह घटना पूरे देश में चंद जगहों पर हुई है मैं घटना की निंदा करता हूं यह कायरता पूर्ण घटना है लेकिन आपने जिस तरह इसे पेश किया है उससे आप सिर्फ उनके एजेंडे को कामयाब कर रहे हैं ! चौकिए मत जरा सोचिए हमारा ऐसा व्यवहार ही उनकी ताकत बनता जा रहा है दो चार जगहों पर ऐसा नंगा नाच वह करेंगे फिर आप अपना रोना रोयेंगे पूरे देश में संदेश जाएगा आप खौफ में हैं और बस यही उनका प्लान है!!

जी हां वह आपको खौफजदा करना चाहते है क्योंकि डरे हुए लोग अधिकारों की बात नहीं करते सुरक्षा मांगते हैं ,वहीं दूसरी तरफ आपकी बिकी हुई मजहबी और सियासी कयादात ऐसे दौर में भी आपके सौदे में मसरूफ है और बयानबाजियां और लेटर बाजी कर रही है।

कोई सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा रहा कि बिना जुर्म साबित हुए घर कैसे गिरा दिया? भारत में यह कानून कब बन गया कि जिसे सत्ता चाहेगी गुनहगार मान लेगी और कार्यवाही कर देगी? हां उसने आपके सुर में सुर मिलाकर विधवा विलाप में आपका सहयोग जरूर किया है जरा सोचिए वक्त विधवा विलाप का नहीं इत्तेहाद का है ,समय की मांग समझदारी भरे निर्णय है ,बंद कीजिए यह रोना धोना और और मजलूमियत का नाटक यह देश आपका है इसे बर्बाद होने से बचाना हमें और आपको है मुहब्बत के पैगाम को आम कीजिए आपसी फिरकाबंदी को खतम कीजिए यही मौका है इत्तेहाद कर आगे बढ़ने का वरना विधवा विलाप मुबारक।

खरगोन मध्य प्रदेश
ऊन खरगोन
मध्य प्रदेश खरगोन जिला
खरगोन जिले में
खरगोन जिले का भगोरिया
मध्य प्रदेश खरगोन
खरगोन

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