दुनिया दर्द का बाज़ार है यह डायलॉग तो आपने किसी न किसी हिंदी फिल्म में सुना ही होगा , अगर आप फिल्म नहीं भी देखते तो भी किसी बड़े बूढ़े के मुंह यह जुमला सुन ही रखा होगा खैर जाने दीजिए क्यों इस बहस में उलझा जाए बस यूं समझिए यहां सब बिकाऊ हुआ ,जिसे जमीर खरीदना हो बोली लगाये ,जिसे ईमान खरीदना हो कीमत अदा करे,शरीर से लेकर प्रेम तक और वोट से लेकर प्रचार तक,नेता से लेकर कलम तक सब बिकता है आप जो चाहें खरीदे ।

लेकिन याद रखिए बाजार में कुछ फ्री में नहीं मिलता हर चीज की कीमत अदा करनी होती है ,फ्री का विज्ञापन भी पैसा लेकर छपता है और हम आप फ्री के झांसे में छले जाते हैं,मेरी बातों को आप फ्री राशन से हरगिज़ मत जोड़ दीजियेगा अजी वह तो सरकार आप पर अहसान कर रही है ऐसी ही बात है न ?

यूपी विधानसभा में सारे दलों ने फ्री की घोषणाएं करी कोई बिजली फ्री देने की बात करता रहा कोई राशन खैर जीती रोटी ही हमेशा की तरह क्योंकि बिजली जिंदगी नही देती,और सुनिए इस फ्री की घोषणा में कितना खर्चा हुआ इसकी चर्चा भी नहीं हुई यही है फ्री का मकड़जाल जिसके शिकार है हम और आप,खैर इन बातों को भी जाने दीजिए इनसे संस्कृतिक राष्ट्रवाद कमजोर होता है लिहाजा सिर्फ उस विषय पर बात की जानी चाहिए जिससे इस अवधारणा को बल मिले और वह बात है कश्मीरी पंडितों का दर्द !!

ऐसा दर्द जिसके सामने सारे दर्द फीके हैं सुनिए मैं कोई तंज नहीं कर रहा हूं वास्तविकता बता रहा हूं और आपको इस दर्द से जोड़ रहा हूं अगर आपके घर में कोई बिना ऑक्सीजन के, बिना दवा के ,बिना अस्पताल के ,बिना डॉक्टर और बिना चिता के मरा हो तो भी आपको उसे भूल कर इस दर्द को महसूस करना चाहिए ताकि आपको अपना दर्द व्यर्थ और कमतर लगे ऐसा करने से आप एक तरफ अवसाद से बाहर आएंगे और उसकी जगह भयंकर गुस्से से भर जायेंगे।
आपको सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आप फ्री में नफरती चिंटू सेना के सक्रिय सदस्य बन जायेंगे ऐसा होते ही आपके मन मस्तिष्क से फालतू के फितूर ,महंगाई ,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार ,संविधान बचाओ जैसे मुद्दे निकल जायेंगे आप किसी निजीकरण जैसे बेमतलब के मामले में कोई बात नहीं करेंगे बस एक ध्येय बना कर अपने गुस्से को निकालने के अवसर तलाशेंगे इस प्रकार आपको अपने जीवन का फ्री में उद्देश्य मिल जायेगा ।

खैर यह तो फ्री का ज्ञान था मगर इस ज्ञान का लाभ आप तब उठा सकते हैं जब आप अपनी जेब ढीली करेंगे आप चौंकिए मत आखिर खुद सोचिए कि कश्मीरी पंडितों के दर्द से आप यूंही फ्री में कैसे जुड़ जायेंगे,उनसे सहानुभूति फ्री में किस तरह जतायेंगे?
आपको इसके लिए एक फिल्म देखनी पड़ेगी और यह फिल्म अगर आपने गलती से भी फ्री में देख ली तो आप सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को कमजोर करेंगे,इसे अपराध जानिए क्योंकि यह अपराध ही है लेकिन आप लोगों को फ्री की इसी लत लगी है कि पूछो मत!

ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं ऐसा इस फिल्म के महान राष्ट्रवादी डायरेक्टर साहब कह रहे हैं और दबे छुपे नहीं सार्वजनिक रूप से नीली चिड़िया पर हां हां ट्विटर पर आखिर यह जगह भी है तो फ्री की ही लेकिन डायरेक्टर साहिब गुस्सा कर हरियाणा के मुख्यमंत्री से शिकायत कर दिए हैं कि खबरदार कोई फ्री में दर्द न देखे ,मामला तो आपको पता ही होगा कि एक फिल्म आई है “द कश्मीर फाइल” जिसको लेकर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है उसे हरियाणा के रेवाड़ी जिले के भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यछ केशव चौधरी (बिट्टू) द्वारा आम जनता को एलईडी पर स्वर्ण जयंती पार्क में 20 मार्च को फ्री में दिखाए जाने का पोस्टर डाला गया इस आशय के बैनर भी बने।जैसे ही डायरेक्टर साहब को यह खबर लगी उन्हें गुस्सा आ गया उन्होंने फौरन ट्वीट मारा मनोहर खट्टर जी को और उन्हें साफ शब्दों में कहा कि “आप इसे रोकिये यह तो फ्री में दिखा कर सब गड़बड़ा देगा उन्होंने कहा कि राजनैतिक लोगों को रचनात्मक व्यवसाय का सम्मान करना चहिए क्योंकि उनके अनुसार सच्चा राष्ट्रवाद और समाज सेवा टिकट खरीद कर फिल्म देखना है फ्री में फिल्म दिखाना अपराध है”।

आप शायद समझ चुके होंगे कि बात क्या है डायरेक्टर साहब ने साफ कहा है कि उनका व्यवसाय खराब मत करिए यह वाला दर्द बिकाऊ है ,पैसा फेंकिए दर्द देखिए फिर सहानभूति दर्शाने का अधिकार आपको है बिना टिकट खरीदे देखना अपराध है यहां फ्री में आपको सिर्फ एक विचार मिलना है जिसकी कीमत भी बाकी फ्री चीजों की तरह आपसे ही वसूली जानी है भले आपके बच्चों के भविष्य के रूप में क्यों न हो! वैसे यह दर्द बिकाऊ है

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