सवाल पूछने की इजाज़त तो नहीं है लेकिन में जानता हूं कि लाशे सवाल नहीं करती यह बात आप बखूबी जानते हैं आप सोच रहे होंगे मैं सरकार पर कोई निशाना साधना चाहता हूं तो सुनिए आप बिल्कुल ग़लत है सरकार अपना काम बखूबी कर रही है उसमे एक फीसदी की भी चूक नहीं है ।
आपको मेरी बात पर यकीन नहीं तो ज़रा इस बूढ़ी मां से पूछ लीजिए जिसका बेटा शहर से पैदल आते हुए रास्ते में भूख और थकान से मर गया गरीब उसकी चिता भी नहीं देख पाई चलिए भला हो हाकिम का कम से कम लोग अपने घरों में दिए जलाएंगे जिसमें अपने बेटे की छाया देख लेगी लेकिन बस एक बात से डरती है कहीं उसने कह दिया कि मा भूख लगी है एक रोटी दे दो मुझे तब क्या करेगी घर में तो मुट्ठी भर अनाज नहीं है उसने भी तुम्हारे जाने के बाद से कुछ नहीं खाया अभागन उसकी वह इच्छा भी पूरी नहीं कर पायेगी।
कुछ ऐसा ही कह रही है वह अभागन पत्नी जिसने अपने पति को बीच रास्ते में खो दिया जिसके साथ जीवन बिताने की कसम खाई थी उसने तो शहर से गांव के रास्ते में ही दम तोड़ दिया लेकिन चलिए कुछ तो सुकून मिला जब ऐलान हुआ कि पूरा देश दिया जलायेगा ऐसा कहा गया है हो सकता है वह भी अपने जीवन में सदा सदा के लिए छाये अंधकार से कुछ मिनट के लिए ही सही बाहर आ जाये लेकिन डर तो यही है कि कहीं उस उजाले में उसकी नन्ही गुड़िया जिसके सर से पिता का साया उठ गया है घर में खाली पड़ी आटे की टंकी न देख ले अभी तो उसको बहला देती है ।
चारों तरफ देश के मुखिया की दूरदृष्टी की सराहना हो रही है अभी तक मोदी जी के विरोधी जालीदार टोपी वाले भाई बोले हम भी इस मुहिम में साथ है लेकिन क्या बताएं दिल्ली दंगों में घर पहले ही जल गया दुकान भी जल गई अगर तब ऐलान हुआ होता तो मेरे घर जलने से हुई रोशनी बहुतों के दिए से तेज़ होती कम से कम मैं भी फख्र से कह सकता कि मैंने भी प्रधानमंत्री जी के आह्वाहन पर रोशनी की थी क्योंकि वैसे भी अपना घर जलाने का इल्ज़ाम मुझपर ही है खैर यह समय शिकायतों का नहीं है मै ज़रूर दिया जलाऊंगा अपनी बर्बादी की खुशी का जश्न ही सही।
यह देश का मिजाज़ है साहिब आपके हर फैसले के साथ सब खड़े है जो जी में आए कीजिए किसीको आपसे कोई शिकायत नहीं लोगो को शिकायत तो सिर्फ अपने आप से है और होना भी चाहिए जो गरीब हैं उनको गरीब आपने तो नहीं बनाया उनको शिकायत करनी है तो भगवान से करें ,जब सब राम भरोसे है तब आप दोषी कैसे हो सकते हैं ? भला आप ही बताइए क्या हमारे प्रधानमंत्री ने मजदूरों से कहा था कि शहरों में चले आओ जब पहले सब गांव में रहते थे तो अब क्या परेशानी आ गई लेकिन बस सरकार को परेशान करना आता है इन सबको चलो जैसे तैसे पहुंच तो गए अब काहे का रोना और रही बात कि 100 -50 रास्ते में मर गए तो जी के भी कौन सा तीर मार लेते सड़कों पे न सही तो किसी बिल्डिंग के तले दब कर मर जाते इसपर काहे का हो हल्ला ,आखिर हर गरीब अब प्रधानमंत्री तो बन नहीं जायेगा क्यों ?
यूं भी सरकार घोषणाएं कर तो रही है लेकिन लोग है जो थोड़ा धैर्य रखने को तैयार नहीं है ,अरे सरकार की योजनाएं है आप तक पहुंचते पहुंचते समय लगता है भूख कोई नई चीज तो है नहीं, राशन भी मिलेगा ,1000, -500 रुपए भी मिलेंगे आराम से ऐश से रहो अब इस खुशी में दिया तो बनता है क्यों न जलाएं घी के दीये भला इससे ज़्यादा और क्या हो सकता है ?मुफ्त राशन ऊपर से 1000 रुपए भी अब गरीब को और क्या चाहिए ?हां परेशानी पूंजीपतियों को न हो इसपर ज़रूर बैठक होनी चाहिए उनके लिए भी कोई राहत पैकेज की घोषणा हो जाती तो पूरा देश संतुष्ट हो जाता।
पूंजीपति वर्ग पर दोहरी मार पड़ी है एक तरफ तो यह शेयर मार्केट डूबती जा रही है दूसरी तरफ नए वाले फंड में सैकड़ों करोड़ का दान हालात खराब है सरकार के सभी गरीब मज़दूर मांग क्यों नहीं करते कि एक बेलआउट पैकेज का ऐलान किया जाए लेकिन लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं स्वार्थी कहीं के फ़्री राशन मिल जाए दूसरे के लिए कुछ न करना पड़े बस उनका भी कुछ हो जाता तो उनके महलों में भी दिए जलते टिमटिम कर अंधकार को भगा देते।
यह जमाती तो हद से ज़्यादा नाक में दम किए हुए हैं ,नफरत की भी हद होती है ,कितने गैर ज़िम्मेदार हैं यह ,पूरे देश को संकट में डाल दिया, सरकार देशहित में कुछ सोचती लेकिन इन्होंने तो कुछ सोचने लायक छोड़ा कहां पूरे देश में बीमारी फैला दी न सरकार कुछ कर पा रही है ऐसी समस्या पैदा कर दी इन लोगों ने ,वह तो जल्दी देश समझ गया और भला हो देश की सबसे तेज वाली मीडिया की जो उसने सबको यह सच बता दिया वरना लोग बिलावजह सरकार को दोष देते।
अरे खुद सोचिए सरकार अगर ट्रंप जी का कार्यक्रम रद्द कर देती उससे भारत अमेरिका के संबंधों पर कितना विपरीत प्रभाव पड़ता ,ऊपर से अमेरिका जो विशेष डिस्काउंट पर हमें समान दे रहा है वह भी नहीं देता आपको क्या लगता है जो वर्ल्ड बैंक ने भारत को 1 अरब डॉलर दिया है यूंही मिल गया इसके लिए बहुत कुछ करना पड़ता है इज्जत बनानी पड़ती है कुछ गरीब मज़दूर लोगों की मौत के बदले अगर हम अपना सम्मान बचाने में कामयाब हो रहे हैं तो यह जो लोग मरेंगे वह तो देश के लिए बलिदान होंगे न इनका भी कुछ अंश योगदान हो जायेगा वरना तो यह टैक्स देने वालों की रकम को दीमक की तरह खाते ही हैं ?इस खुशी में भी दिए जलाना तो बनता है क्यों ?
जिसको देखो बस सरकार से सवाल पूछने खड़ा हो जाता है अरे विदेशी विमान सेवा बंद करने से क्या हो जाता हमारी सीमा तो चीन से मिली हुई है और हा पाकिस्तान से यह जमाती घुसपैठ कर कोरोंना ले आते देखिए कितने क्रूर है यह लोग, आपस में कोरोंना फैला रहे थे एक जगह बंद होकर वह तो भला हो दिल्ली पुलिस का और दिल्ली सरकार के नियम कायदों का जो इनको ढूंढ निकाला, क्योंकि इनको ढूंडना भी कोई आसान बात नहीं थी, खैर इस बात पर दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार की प्रशंसा में दिया तो जलाना बनता है।
वैसे एक अंदर की बात और बताऊं कोर्ट के राममंदिर पर फैसले के बाद अरे वही फैसला गांगोई साहब ने जो दिया अब वह जज नहीं माननीय सांसद महोदय हैं खैर फैसले के समय तो रोक थी विजय जुलूस नहीं निकाल सकते या खुशी नहीं मना सकते लेकिन इस बार पहली रामनवमी थी शायद प्रधानमंत्री इसी दिन दिया जलवाते लेकिन यह चीन से अाई बीमारी भी न बिल्कुल नास्तिक ही है सब प्लान खराब कर दिया और मजबूरन 5 अप्रैल का ऐलान करना पड़ा यह मैंने सोचा बता दूं ताकि आप दिया जलाए तो याद रहे।
वैसे एक दिया तो भारत की जागरूक सबसे तेज मीडिया के लिए भी जलाया जाना चाहिए जिसे बखूबी मालूम है कि देश की प्राथमिकताएं क्या है? मैंने सही कहा न उसे पता है कि इस समय अस्पतालों की स्तिथि पर बात नहीं करनी है,हमारी महामारी से लड़ने की तैयारी पर बात नहीं करनी है,मजदूरों के पलायन पर बात नहीं करनी,भूख से हो रही मौतों पर बात नहीं करनी है,मास्क सेनेटाइजर की कमी पर वेंटिलेटर की उपलब्धता पर बात नहीं करनी है ,डॉक्टरों नर्सों एम्बुलेंस ड्राइवरों की मांगो पर हड़ताल पर बात नहीं करनी है, और कोई नया फंड बना है उसपर भी बात नहीं करनी,बात होनी है तो हिन्दू मुसलमान पर क्योंकि अगर लोगों ने इससे ध्यान हटा लिया तो सरकार से सवाल पूछेंगे जिससे सरकार के कामों में बाधा आयेगी लिहाज़ा देशहित में खबरे दिखा कर एक बड़ा योगदान दे रही है।
कहिए मै गलत तो नहीं कह रहा अगर आप इस बात से सहमत हैं तो एक दिया अपने नाम का भी जला लीजिएगा क्योंकि आप संसार के सबसे होशियार व्यक्ति में शामिल हो जाएंगे जो घर की लाइट बुझा कर दिया जलायेंगे बुरा मत मानिएगा यह अवसर हर व्यक्ति को नहीं मिलता यह वैसा ही है जैसे कफन पहनने की ख्वाहिश में मर जाना ।
देखिए मज़दूर की बात ,गरीब की बात बाद में भी हो सकती है और भूख कोई नया विषय भी नहीं लिहाज़ा पहले महामारी से लड़ते हैं ,सवाल पूछने का समय अभी नहीं है क्योंकि रोटी अब बिल्कुल चांद जैसी हो गई है पहुंच से बहुत दूर अभी इसकी पानी में छाया देखिए वैसे पानी में तैरते दिये भी सुंदर दिखते हैं आइए हम सब दिया जलाएं वैसे रोशनी चिता से भी होती है।
अगर यह सब जानते हुए भी आप मुझसे असहमत हैं और दिया नहीं जलाने पर तुले है तो सुनिए बहुत लोग भूखे है परेशान है जाईए उन्हें आपकी जरुरत है,अपना वक़्त लोगों से सवाल पूछने में या उनके जवाब देने में मत खतम कीजिए यही समय है लोगों के दिलों में मोहब्बत के दिए जलाने का जिसमें अगर आप कामयाब हो गए तो विश्वास रखिए अंधेरे मिट जाएंगे बीमारी चाहे जितनी भी खतरनाक हो हम सब मिलकर उसको हरा देंगे जीतेगा भारत और भारत के लोग।
यूनुस मोहानी
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