जी हां मै यह बात डंके की चोट पर कह रहा हूं कि जो जिहादी नहीं होता वह मुसलमान नहीं हो सकता ,मुसलमान होने के लिए जिहादी होना ज़रूरी है मै जानता हूं मेरी इस बात पर सबसे ज़्यादा गुस्सा मुसलमानों को आएगा क्योंकि मैंने ऐसी बात कही है जो सच है लेकिन कोई इसे स्वीकारने को तैयार नहीं है।
आप भी हैरत में होंगे कि में खुद एक मुसलमान होकर ऐसी बात कैसे कह रहा हूं मगर सुनिए मुझे सच कहने में डर नहीं लगता क्योंकि मै जानता हूं कि जो मैं कह रहा हूं वहीं सच है ,मगर यहां मेरा आपसे एक सवाल है कि बताइए आप जिहाद का क्या मतलब समझते हैं? यही न कि लोगों को मार देना जो आपके धर्म का नहीं है क्यों सच कहा न मैंने? तो अब सुनिए मैंने जो बात कही है वह पूरी तरह सच है मगर आप जो कह रहे हैं समझ रहे हैं वह पूरी तरह निराधार है क्योंकि जिहाद धर्म की रक्षा के लिए होता है और धर्म कभी किसी बेगुनाह को मार देना नहीं हो सकता।धर्म कभी किसी की इज्जत पर हाथ डालना नहीं हो सकता ,धर्म कभी किसी को मुसीबत में डाल देना नहीं हो सकता तो फिर ऐसा कोई कृत जिहाद कैसे हो सकता है जिसमें बेगुनाह मरे,किसी की इज्जत छीन ली जाए,किसी को मुसीबत में डाल दिया जाए सुनिए मुसलमान जिहादी होता है अगर अभी भी आपको मेरी बातो पर विश्वास नहीं है तो जाईए सड़कों पर भूख से बेहाल सैकड़ों किलोमीटर चलने वाले मजदूरों से पूछ लीजिए आपको वह ज़रूर बता देंगे कि मैं जो कह रहा सही कह रहा हूं।

जिहादी वहीं होता है जो बुराइयों से खुद को बचाने के लिए अपने आप से लड़ता है यूंही रमज़ान में सब कुछ सामने होने पर भी प्यास और भूख कि हद हो जाने के बाद भी वह किसी से नज़रे चुराकर एक बूंद पानी नहीं पीता,शराब को हाथ नहीं लगाता ,अगर किसी पर ज़ुल्म होता हो और सामने हो तो मजलूम के साथ खड़ा हो जाता है और उसके लिए ज़ालिम से मुकाबला करता है, वह होता है जो मुल्क पर बात आ जाए तो अपना सबकुछ मुल्क के लिए कुर्बान कर देता है,अगर कोई किसी की इज्जत पर हाथ डाल दे तो अपनी जान देकर उसकी इज्जत को बचा लेता है।

मगर मैं आपको यह सब क्यों बता रहा हूं क्यों में आपसे यह सब कह रहा हूं आप तो अभी अंताक्षरी खेल रहे होंगे आप कब मेरी सुन सकते हैं आपके कानों में तो भारतीय मीडिया पर दिखाई जाने वाली कहानी के संवाद गूंज रहे है आप कैसे सच का सामना कर सकते हैं ?

अगर आप सुन सकते होते महसूस कर सकते होते तो रोते बिलखते बच्चो की चीखें जरूर सुन लेते ,आप भूख की शब्दावली समझ लेते ,लाचारी पर आपकी आंखों में आसूं भर जाते मगर क्या ऐसा हुआ? शायद नहीं वरना आप भी वही सवाल पूछ रहे होते जो एक पत्नी भूख और थकान की वजह बीच सड़क पर अपने पति को मरता देखने को मजबूर हो जाती है और निष्ठुर लोग उसकी सहायता नहीं करते, उसकी सूनी आंखे पूछती है आखिर इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है? आप सवाल पूछ रहे होते कि लोग सड़कों पर क्यों है यह किसकी नाकामी है?लेकिन आपने क्या सवाल किया नहीं क्यों ?

उस महिला की मदद को जो लोग अाए वह भी जिहादी थे यह मै आपको इसलिए बता रहा हूं कि आपको चोट लगे आपकी अंतरात्मा आपको झकझोर दे। भूख चीखें मार रही है मौत शोर मचा रही है लेकिन आप क्यों नहीं सुनते ?यही जिहादी रोटी जिहाद करते सड़कों पर उतर गए कोई पानी जिहाद कर रहा है कोई दूध जिहाद कर रहा है हर तरफ लोग जब अपने घरों में हारमोनियम बजा रहे हैं तब रात के अंधेरों में गरीबों के घर पर यही जिहादी राशन जिहाद चला रहा है इसे इससे कोई लेना नहीं कि इसके रोटी जिहाद की जद में कौन है,और सिर्फ यह जिहादी ही इस जिहाद में नहीं उतरे सभी दर्द महसूस करने वाले इस जिहाद का हिस्सा हैं सिख भाई लंगर जिहाद कर रहे हैं।

भारत की सड़कों पर अगर एक तरफ गरीबी भूख लाचारी नाउम्मीदी का सैलाब दिखा तो दूसरी तरफ दिखा इंसानियत का जज्बा और अगर कुछ नहीं दिखा तो वह सरकारी मदद थी ऐसा क्यों हुआ क्या आपने सवाल किया?
आप यह सवाल क्यों नहीं पूछ सके कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के होते हुए प्रधानमंत्री केयर फंड क्यों बनाया गया जबकि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के सदस्य विपक्ष के नेता और अफसर भी होते है उसका कैग द्वारा आडिट भी होता है और वह पारदर्शी भी है तो ऐसा फंड क्यों बनाया गया जिसके सदस्य सिर्फ सत्ताधारी दल के 3 मंत्रियों सहित प्रधानमंत्री होंगे ,निर्मला सीतारमण,अमित शाह और राजनाथ सिंह इस नए ट्रस्ट के सदस्य हैं आपको पता ही होगा विपदा की इस घड़ी में जब सरकार को इस समस्या से लड़ना था तब सरकार नए फंड का निर्माण कर रही थी क्यों आपने सवाल किया नहीं?

आखिर देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 13 मार्च को क्यों कहा कि यह कोई महामारी नहीं है विचलित होने की आवश्यकता नहीं है? क्यों विदेशों से लोगों को भारत आने दिया जाता रहा यहां तक कि चीन और ईरान से लोगो को लाया गया हवाई सीमा सील नहीं की गई आखिर क्यों ?
मध्य प्रदेश पर प्रधानमंत्री अमितशाह के साथ बैठक करते रहे लेकिन अचानक उन्हें पता चला कि यह महामारी है और जनता कर्फ्यू का ऐलान कर दिया और लोगो से थाली पिटवा दी लेकिन तब तक कोई तैयारी नहीं की गई क्यों ?
जब पहले से लाकडाउन की तैयारी थी तो सभी विदेशी नागरिकों को उनके घर वापिस क्यों नहीं भेजा गया जो नहीं जा सकते थे उन्हें क्वारांटाईन क्यों नहीं किया गया ? भारत के विदेश मंत्रालय और उड्डयन मंत्रालय के पास भारत में आने जाने वाले सभी लोगों की जानकारी होती है तो लाकडॉउन से 2 दिन पहले वह पूरी लिस्ट प्रधानमंत्री के सामने क्यों नहीं थी? सभी विदेशी सफर से लौटे व्यक्तियों को तत्काल प्रभाव से अलग थलग क्यों नहीं किया गया? यह सब वह सवाल हैं जो आपको पूछने चाहिए लेकिन आपने पूछे शायद नहीं? वजह जिहादियों से नफरत के अलावा कुछ नहीं जबकि यह सीधे आपकी जान के साथ किया गया खिलवाड़ भी है।
सरकार ने इन मजदूरों को क्यों निकलने दिया आखिर ऐसा क्या था जो इन्हें रोका नहीं जा सकता था या फिर इन्हें रोकना ही नहीं था वरना आम आदमी से मुख्यमंत्री बने दिल्ली के मुखिया को विज्ञापन करने का समय नहीं मिलता जिसमें वह कहते हैं कि हम 4 लाख लोगों को खाना खिला रहे हैं अगर ऐसे में दिल्ली में किसी मज़दूर की मौत भूख से हो जाए तो उसे ओवर ईटिंग से हुई मौत माना जाए क्यों ?

आप कुछ कुछ समझने लगे कुछ पूछने लगे आपके सर से जुनून उतरा तो सरकारी लोग डर गए अरे यह बुत तो आवाज़ निकालने लगे हैं लिहाज़ा सामने आया कोरोना जिहाद जिसके लिए सबसे बढ़िया जगह बनी तब्लीग़ी जमात का अंतरराष्ट्रीय मरकज जहां पर ,1500 लोग छिपे हुए थे मै वहीं शब्द इस्तेमाल कर रहा हूं जो आपके मस्तिष्क में है जबकि पुलिस थाने से मरकज की दीवार मिली हुई है अगर मरकज में कोई छींक भी दे तो पुलिस को सुनाई दे लेकिन पता नहीं कौन सा जादू जानते है यह लोग किसी को पता नहीं चला। पत्राचार होता रहा अधिकारियों से मिलना मिलाना हुआ टेलीफोन पर बात हुई लेकिन यह लोग छिपे रहे।खैर इधर यह लोग छिपे हुए थे उधर शाहीन बाग़ का आंदोलन खतम करवा दिया गया उसके बाद पूरी सरकारी मशीनरी एनआर सी एनपीआर और सी ए ए के विरोध में लिखे नारो को मिटाने में जुट गई आखिर उसी से तो संक्रमण फैल रहा था सरकार ने एक एक नारे को मिटा दिया युद्ध स्तर पर लेकिन इन मरकज में छिपे कोरोंना जिहादियों को नहीं ढूंढ सकी और फिर अचानक जब इसकी खबर लगी तो कार्यवाही हुई मीडिया ने हमेशा की तरह सबकुछ पता लगा लिया कितने लोग है कितने को संक्रमण है कितने मर चुके हैं,डॉक्टर भी हैरान हो गए कि पता नहीं क्यों टेस्टिंग लैब बनाने की जरूरत है जब हर चैनल के रिपोर्टर हर ज़िले में मौजूद हैं यह तो संक्रमण को देख कर सुन कर सूंघ कर पहचान लेते है।

खैर फिर क्या था नफरत की खतम होती आग में घी डाल दिया गया और शुरू हो गया वहीं खेल जो आपको पसंद है और आपकी आंखे बंद कर देता है आपसे क्या मतलब गरीब भूख से मरता है मर जाए आपको सिर्फ नफरत करनी है सवाल नहीं क्यो मै सही कह रहा हूं न ?

वैसे आपको एक जानकारी दे दू शायद आपको कुछ समझ में आए क्योंकि मौत से तो सबको डर लगता है सुनिए न्याय के सबसे बड़े मंदिर सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार ने बताया है कि कुल लगभग 28 लाख मजदूरों ने पलायन किया है जिनमे लगभग 30 प्रतिशत में संक्रमण हो सकता है समझे कुछ यहां मरकज का नाम नहीं लिया है सरकार ने अब सोचने वाली बात है अगर यह सच होता है तो यह कितना खतरनाक है क्या कोई बच पाएगा देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर तो आपको बहुत भरोसा पहले से ही है।

अब सोचिए जब ऐसा था या है तो इन्हे रोका क्यों नहीं गया आखिर आप हिन्दू मुसलमान करिए अगर स्थिति विकराल हुई तो मौत धर्म नहीं पूछेगी आखिरी बात मुसलमान जिहादी होते है और जिहाद इंसानियत को बचाने के काम को कहते हैं उसे तबाह करने को नहीं,आप नफरत करते रहिए हम रोटी जिहाद कर रहे हैं ।
जय हिन्द
यूनुस मोहानी
8299687452,9305829207
younusmohani@gmail.com

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