आज कलम भी रो रहा है जज्बात का समंदर उमड़ रहा है तस्वीरों की ज़ुबानी कुछ जज्बात आप भी शामिल हों

हर सीने में ऐसे ही सम्मान है उन वीरों के लिए जो सीने पर गोली खाते हैं।

सलाम न सिर्फ उन शहीदों को बल्कि सलाम उन परिवारों को जो खुद तो तड़प लिए मगर अपने प्रिय को रण में भेजा।

हर मस्जिद के सहन में हर मंदिर के बाहर हर चौराहा बस तुम्हारा नाम है तुम्हे सलाम

आखिर इन अमर सपूतों को शहीद का दर्जा क्यों नहीं पूछ रहा हिंदोस्तान

आखिर यह प्रदर्शन हमारे जज्बात हैं ।

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