उदयपुर फ़िल्म सोसाइटी और प्रतिरोध का सिनेमा अभियान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित होने वाला उदयपुर का सालाना सिनेमा जलसा छठा उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल 28 दिसंबर से 30 जनवरी तक आयोजित किया जा रहा है। इस बार की थीम है ‘हाशिये के लोग’। पवन श्रीवास्तव की नयी फ़ीचर फ़िल्म ‘लाइफ़ ऑफ एन आउटकास्ट’ से फेस्टिवल की शुरुआत होगी।

उदयपुर में हुई प्रेस वार्ता में उदयपुर फ़िल्म सोसाइटी की संयोजक रिंकू परिहार ने बताया कि उदयपुर के महाराणा कुम्भा संगीत सभागार में हो रहे इस फेस्टिवल का उद्घाटन पवन श्रीवास्तव के वक्तव्य से होगा जिसके तुरंत बाद होईचोई समूह के दो म्यूज़िक वीडियो ‘रंग’ और ‘एक देश कब बड़ा होता है’ से फेस्टिवल की विधिवत शुरुआत होगी।

इस उत्सव के लिए पवन श्रीवास्तव के अलावा 8 और फ़िल्मकारों और सिनेमा एक्टिविस्टों के शिरकत करने की मंजूरी मिल चुकी है।

इसमें कुल एक लघु फ़िल्म, 2 म्यूज़िक वीडियो, 5 फ़ीचर फ़िल्मों, 7 दस्तावेज़ी फ़िल्मों और मीडिया पर एक सत्र रखा गया है। इसमें महत्वपूर्ण है दस्तावेज़ी फ़िल्म ‘अपनी धुन में कबूतरी’ – निर्देशक संजय मट्टू, ‘परमाणु ऊर्जा –बहुत ठगनी हम जानी’ – निर्देशिका फ़ातिमा निज़ारुद्दीन, लिंच नेशन – निर्देशक अशफाक़ ई जे और फुरकान फ़रीदी। इसके अलावा लघु फ़िल्म ‘गुब्बारे’ – निर्देशक मोहम्मद गनी, ‘नाच भिखारी नाच’ – निर्देशक  शिल्पी गुलाटी और जैनेन्द्र दोस्त, ‘बाबू लाल भुइयां की कुर्बानी’ – निर्देशिका मंजीरा दत्ता भी दिखाईं जाएंगी। फीचर फिल्मों में एक डाक्टर की मौत – निर्देशक तपन सिन्हा, सलीम लंगड़े पे मत रो – निर्देशक सईद अख्तर मिर्ज़ा, फर्दीनांद – निर्देशक कार्लोस सलदान्हाअम्मा अरियन – निर्देशक जॉन अब्राहम।

फ़ेस्टिवल में पंजाब के भूमिहीन किसानों पर बनी दस्तावेज़ी फ़िल्म ‘लैंडलेस’ का प्रीमियर शो भी होगा। इसके निर्देशक रणदीप सिंह भी फेस्टिवल में मौजूद रहेंगे। इसी तरह मीडिया के सत्र में चलचित्र अभियान के सफ़र को उनके दो एक्टिविस्ट विशाल और शाकिब दर्शकों के साथ साझा 

फ़िल्म फेस्टिवल में ही नवारुण से प्रकाशित कवि रमाकांत यादव ‘विद्रोही’ के काव्य संग्रह ‘नयी खेती’ का लोकार्पण भी होगा। साथ ही विद्रोही पर बनी फ़िल्म ‘मैं तुम्हारा कवि हूँ’ का प्रदर्शन भी किया जाएगा। इसके साथ ही फ़िल्म के निर्देशक नितिन पमनानी दर्शकों से संवाद के लिए उपस्थित रहेंगे।

उदयपुर फ़िल्म सोसाइटी की संयोजक रिंकू परिहार ने यह भी बताया कि फेस्टिवल पूरी तरह से जन सहयोग पर विकसित किया जा रहा है और इसमें प्रवेश के लिए किसी भी तरह के आमंत्रण या डोनर कार्ड की आवश्यकता नहीं है।

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