जी हां आपने सही समझा यह जूता ठाकुर का ही है अब इस बात को उत्तर प्रदेश के मुखिया से जोड़ कर देखने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि हर बात को देश और प्रदेश के मुखिया से जोड़ने की ऐसी खराब आदत आपको पड़ चुकी है कि बस पूछिए मत ,कहां प्रदेश के मुखिया सन्यासी योगी और कहां जात पात भला साधु की भी कोई जात होती है वह तो परमेश्वर का होता है उसकी भक्ति उसकी शक्ति होती है यहां तो बात ठाकुर के जूते की है।

आपको पता तो होगा ही प्रदेश में नया कानून आया है लव जिहाद को रोकने के लिए उसपर बड़ी सख्ती चल रही है जब इक्कीसवीं सदी भी इक्कीस की होकर बालिग होने की अपनी उम्र से 3 साल और बड़ी हो गई है तब प्रेम पर पहरा बिठा दिया गया है अब अगर आपको प्यार करना है तो पहले आधार कार्ड चेक करें धर्म का मिलान हो तभी नैना चार करें वरना ठाकुर का जूता बहुत प्रचलित है आजकल समाचार में।वैसे जूता फेंकने की रस्म राजनीति में खूब निभाई जा रही है कभी कहीं किसी पर कोई जूता फेंक देता है कभी कोई ठाकुर का जूता बेच देता है देवरिया वाली घटना तो याद ही होगी आपको पंडित जी और ठाकुर साहब की जूतम पैजार ,नौकरशाही और खादी का जलवा देखते ही बना था।

वैसे जूता कब पहनना है कब उतारना है कब यह पैर में पहना जायेगा ,कब हाथ में टांग लिया जायेगा कब इसे सर पर रखा जायेगा और कब इन बातों का पालन न करने पर इसे चला दिया जायेगा इसका नियम अभी भी कई गावों में विधिवत मौजूद है इससे सभी भली भांति परिचित हैं और जिन्हें इसकी खबर नहीं है उन्हें भारत भ्रमण करना चाहिए।
वैसे किसान आंदोलन लगातार जारी है और सरकार तारीख पर तारीख दे रही है अब समझना होगा कि आखिर किसान आंदोलन क्यों हो रहा है ? आखिर इसमें कितनी साजिश है ? और इसमें कितनी सच्चाई? सरकार लगातार कह रही है कि किसानों के हित में यह कानून है इससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो जायेगा जबकि किसान कह रहे हैं कि यह उनके खिलाफ है सरकार और किसानों के बीच कानून को लेकर जो बाते हैं वह आप जानते ही हैं और आम जन पर इन कानूनो के लागू होने के बाद क्या असर पड़ेगा यह भी साफ दिख रहा है ,सरकारों ने अपने अपने राज्य में किसानों का कल्याण शुरू कर दिया है और 6 जनवरी से उत्तर प्रदेश में किसान कल्याण मिशन चल रहा है अब कोई किसानों की आय दोगनी होने से रोक नहीं सकता वैसे अब आप भी आदत डालने लगे हैं पैकेट में सब्जी दाल आटा खरीदने की अभी आप स्वेच्छा से यह कर रहे हैं कल मजबूरी भी बन सकती है इससे ऊपर कुछ नहीं अब इस बात को आप अपने लिए कितना गंभीर मानते है यह आपके बुद्धि और विवेक का मामला है अपने विचार आप पर थोपने का मेरा कोई इरादा नहीं है।

आरोप लग रहे हैं कि जो लोग आंदोलन के समर्थक हैं वह देशविरोधी हैं साथ ही इस आंदोलन को शहीनबाग से भी जोड़ा जा रहा है कि सी ए ए, एन आर सी आंदोलन का ही यह सिखों के रूप में प्रयोग है इस प्रकार आराजकता फैला कर यह लोग अपनी मनमानी करना चाहते हैं, तो मैं कहता हूं इसमें पूरी सच्चाई नहीं है लेकिन इसमें शुरू में जो बात कही गई है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम और एन आर सी आंदोलन का किसान आंदोलन से सीधा संबंध है यह बिल्कुल सच है अरे आप चौंकिए मत ऐसा कहा जा रहा है ।

आप अब सोच में डूब गए कि जो सरकार या सरकार के समर्थक दावा कर रहे हैं यानी मैं भी उसका समर्थन कर रहा हूं तो सुनिए वह जो बात कह रहे हैं में उसका समर्थन नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं आपकी सच से रूबरू कराना चाहता हूं आपको याद तो होगा ही जो डिटेंशन सेंटर बनने की बात की जा रही थी और जिस प्रकार की तस्वीरे आई थीं आपने देखी ही होंगी आइए अब आपको सच बता देता हूं दरअसल असम में जिस तरह से एन आर सी हुई उसमें मुसलमानों से अधिक हिन्दू धर्म को मानने वाले अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए अब सवाल यह है कि जो यह साबित नहीं कर सके कि वह भारतीय है भला कैसे साबित करेंगे कि वह बांग्लादेश,अफगानिस्तान या फिर पाकिस्तान से आए हैं ऐसे में उन्हें भी डिटेंशन सेंटर में ही रहना होगा इस प्रकार डिटेंशन सेंटर के नाम पर एक बिना वेतन के काम करने वाली गुलामों की कालोनी का निर्माण किया जायेगा और फिर किसान बिल के बाद जब ज़मीनों पर बड़े उद्योगपतियों का आधिपत्य होगा तो यही गुलाम इन ज़मीनों पर काम करेंगे यानी न ज़मीन के लिए सोचना है और न ही मजदूर के लिए दोनों ही बिना किसी बाधा के उपलब्ध हो जायेगी ऐसा माना जा रहा है यह बात सही है या ग़लत इसका दावा नहीं किया जा सकता लेकिन विचारणीय ज़रूर है जिस प्रकार नोटबंदी कर आम छोटे व्यापारी और साहूकारों के पास से सारा धन निकलवाया गया और फिर जीएसटी के माध्यम से बची खुची कसर पूरी की गई फिर caa और एन आर सी के जरिए गुलामी की कालोनी का निर्माण शुरू हुआ और अब किसान बिल उससे अगर कुछ समझा जाए तो ऐसी ही तस्वीर निकलती है वैसे सोचना ज़रूरी है।

देश में जूता अपना काम बखूबी कर रहा है कहीं उससे ठोकर लगाई जा रही है कहीं उससे राजनीत की जा रही है अब तो मसखरी में भी खतरा बढ़ गया है जूता चल भी सकता है आखिर मध्य प्रदेश में पुलिस के जूते आपने देखे ही होंगे किस तरह कॉमेडियन जेल में है और गुंडे बाहर इसे कहते हैं कानून को जूते तले रखना अब तो धर्म के रक्षक कहलाने वाले भी ऐसा इलाज करने लगे हैं कि पूछिए मत पहले इज्जत लूटी फिर दरिंदगी की हदें पार की और फिर हत्या के बाद लाश घर दे आए कानून के रखवाले ने बस यह कहा कि मैं देख रहा हूं आखिर पुलिस के जूते से कौन नहीं डरता।

अब ज़रा देखिए 2020 से जो भारत जगत गुरु बना है तो अमेरिका में कितना भारत का अनुसरण होने लगा है वहां भी जनादेश चोरी की बात चल रही है और उन्मादी भीड़ लोकतंत्र के मंदिर को ज़मींदोज़ करने के लिए निकली हुई है यानी जूता राज करना चाहता है अब यही कहा जा सकता है।
आपको पता है हमेशा लाशें शमशान जाती है लेकिन भारत में इसका उल्टा भी हुआ और मुरादनगर में लाशें शमशान से घर आती दिखी यह व्यवस्था पर भ्रष्टाचार का जूता है हालांकि अपराधी बक्शे नहीं गये उनपर भी कानूनी जूता चल गया लेकिन यह दर्दनाक ज़रूर है कि भ्रष्टाचार की कोई हद नहीं बची

वैसे आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने किसान आंदोलन में कोरोना के खतरे पर चिंता जताई है ,आखिर समझ नहीं आता कि यह कोरोना किस तरह का है जो चुनावों का समर्थक है लेकिन आंदोलन का दुश्मन ,राजनैतिक रैलियों में संक्रमित नहीं करता लेकिन आंदोलन में संक्रमण फैला देता है खैर माननीय न्यायालय की हर बात का सम्मान आपको भी करना चाहिए और हमें भी अगर नहीं किया तो जानते हैं न कानून का जूता बहुत तेज़ चलता है कानून के सिर्फ हाथ ही लंबे नहीं होते जूता भी ताकतवर होता है वैसे नासिर ने जूता बेचा पुलिस ने पकड़ कर जूता चलाया फिर जूता गरमाया अब ठाकुर का जूता कोई बेचेगा तो मियां जूता ठाकुर का है याद रखिये।
यूनुस मोहानी
9305829207,8299687452
younusmohani@gmail.com

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