हैरान मत होइए कि सब कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी बहक गये हैं वह बौखलाए हुए हैं उन्हें हार दिखने लगी है ऐसे समय में मैं कह रहा हूँ कि वह अपने प्लान में कामयाब हैं ऐसा मैं इसलिए कह पा रहा हूँ क्योंकि आप भी ट्रैप में फँसे हुए ही हैं तभी आपको वह नहीं दिख रहा है जो प्रधानमंत्री लगातार करना चाह रहे हैं और उसमें वह कामयाब हैं !
मैं समझ सकता हूँ अब आप उकताने लगे हैं क्योंकि आपको तुरंत फ़ैसलों पर पहुँचने की बुरी लत लगी हुई है बिना यह सोचे समझें कि क्या सही है और क्या ग़लत ख़ैर मैं क्यों आपको ज्ञान देने बैठ गया आप मेरी क्यों सुनेंगे आइये मुद्दे पर वापिस चलते है कि प्रधानमंत्री अपनी चाल में कामयाब हो रहे हैं और विपक्ष उनकी बिछाई बिसात में फँस रहा है , विपक्ष को यह गुमान हो चला है कि कांग्रेस के घोषणापत्र से लोगों में आशा की नई किरण फूँटी है जिसे न्याय पत्र कहा जा रहा है लेकिन सच यह है कि आपमें से कितनों तक यह घोषणापत्र पहुँचा है और आपने उसे पढ़ा है या उसके बारे में जाना है तो जवाब होगा मात्र 5% लोगों ने शायद बाक़ी तक यह पहुँचा ही नहीं तो इसको लेकर कैसी उत्सुकता ?इस बात को मेरे कहने से मत मानिये बल्कि अपने आस पास स्वयं इसे जानिए तो आप मेरी बात समझ जाएँगे ।
इसके पीछे बड़ी वजह कांग्रेस का निष्क्रिय संगठन है जिसका सीधा कनेक्ट अभी तक नेतृत्व से नहीं है पहले से कुंडली जमाये बैठे लोग कर्मठ कार्यकर्ताओं की आवाज़ को दबाने की मुहिम में लगे हैं और नीचे की आवाज़ को ऊपर तक नहीं पहुँचने दे रहे हैं ।
दूसरा मुद्दा इस चुनाव में बेरोज़गारी है जोकि चर्चा में है लेकिन धर्म की अफ़ीम से इस आवाज़ को बदलने का संघ द्वारा चलाया जा रहा अभियान ज़मीन पर काफ़ी ज़ोरों से दौड़ रहा है और घर घर बैठक जारी है महंगाई उस तरह से पूरे चुनाव में मुद्दा नहीं बन पाई और लोग ख़ुद तर्क देते सुने जा रहे हैं कि कमाई भी बढ़ी है तो महंगाई भी हालाँकि उनसे बात करने पर वह फँसते भी है और बढ़ती महंगाई को स्वीकारते हैं लेकिन विपक्ष के पास ज़मीन पर बात करने वाले तार्किक लोगों का अभाव है ।
यह तो पोस्टमार्टम था विपक्ष का या ख़ास तौर से कांग्रेस का अब मोदी की बात करते हैं कि आख़िर वह कैसे कामयाब हैं ?प्रधानमंत्री लगातार ऐसी बात कर रहे हैं कि जनता से लेकर नेता तक सब उनका मज़ाक़ उड़ा रहे हैं उनके भाषण के बाद मीम बन रहे हैं लोग तरह तरह के कमेंट कर रहे हैं हर तरफ़ उसकी चर्चा हो रही है और विपक्ष के सभी प्रचारक उनके उस बयान की चर्चा अपनी पब्लिक रैलियों से लेकर टीवी पर बैठ कर रहे हैं वह अपने मुद्दे पर बात कम करते सुने जा रहे हैं उसकी जगह प्रधानमंत्री के बयान पर अधिक बात कर रहे हैं इस तरह प्रधानमंत्री सीधे तौर पर संविधान के सवाल को चकमा देते जा रहे हैं इतना ही नहीं पूरा विपक्ष मंगलसूत्र और भैंस बचा रहा है उसपे सफ़ाई देता घूम रहा है जबकि संविधान के सवाल पर बीजेपी बैकफ़ुट पर थी और उसे इसी सवाल का जवाब ढूँढते रहना चाहिये था लेकिन बड़ी चालाकी से इस प्रश्न को घुमा दिया गया अब कांग्रेस सैम पित्रोदा के बयान को बराबर करने में लगी है और बीजेपी इस सवाल को उछाल रही है उधर प्रधानमंत्री ने ज़िलों की राजधानी का नया शोशा छोड़ दिया है ।
देश में जब इतने गंभीर मुद्दे मौजूद हैं ऐसे में प्रधानमंत्री टैम्पो वाला बयान दे रहे हैं और विपक्ष इसे उनकी बौखलाहट बता रहा है जबकि हक़ीक़त इसके उलट है वह ऐसे बयान देकर विपक्ष को उलझा रहे हैं और उनका संगठन आरएसएस के प्रचारकों के साथ मिलकर खेतों की पगडंडियों पर तीसरी बार क्यों मोदी सरकार का सबक़ पढ़ा रहे हैं ,वैसे यह पूरा चुनाव काफ़ी ख़ामोश है जनता बोल नहीं रही है और विपक्ष से भी ख़ासी खुश नहीं दिख रही है ऐसे में मोदी कामयाब दिख रहे हैं उनकी फिरकी असरदार लग रही है क्योंकि उनकी फेंकी गई गेंद पर विपक्षी कोई छक्का नहीं जड़ पा रहे हैं ।
मोदी लगातार अपनी गारंटी की बात धड़ल्ले से कर रहे हैं बीजेपी विज्ञापनों के माध्यम से मोदी की गारंटी प्रचारित कर रही है लेकिन अभी तक विपक्ष इसके ख़िलाफ़ मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनावों में बीजेपी के घोषणापत्र में दी गई गारंटी रसोई गैस 450/प्रति सिलेंडर को नहीं ला पाया यह बहुत पुरानी बात नहीं है सिर्फ़ 4महीने पहले दी गई गारंटी को विपक्ष सामने नहीं ला पाया लगभग आधा चुनाव बीत गया लेकिन विपक्ष ने इसपर बात नहीं की , जब घोषणापत्र में लिखकर इस मुद्दे से बीजेपी भाग गई तो कैसी गारंटी ? लेकिन विपक्ष मंगलसूत्र बचा रहा है और भैंसे ।
ज़रा मोदी की बेतुकी बातों की टाइमिंग पर ध्यान दीजिए मोदी मंगलसूत्र भैंस कैपिटल टैम्पो जैसी बात तब करते हैं जब कोविडशील्ड वैक़्सीन पर खुलासा हो जाता है और ब्रिटेन की हाईकोर्ट में इसे बनाने वाली कंपनी ख़ुद स्वीकार कर लेती है कि इस वैक्सीन से खून में थक्के बन सकते हैं और जिस कारण हार्टअटैक या ब्रेन हैमब्रेज हो सकता है !
जिस सत्य को स्वीकारा गया है उसके प्रमाण लगातार वीडियो के माध्यम से आ रहे हैं कोई डांस करते हुए अचानक गिर रहा है और मौत हो रही है कोई गाता हुआ कोई बात करता हुआ कोई गाड़ी चलाते हुए यह प्रमाणित तथ्य हैं लेकिन मोदी ने मंगलसूत्र की बात कर दी जबकि विपक्ष को सवाल करना था जब सुहाग बचेगा तो मंगलसूत्र का मूल्य है देश के लिए सुहाग ज़रूरी है या मंगलसूत्र सुहाग लूटने वाले मंगलसूत्र की बात कर रहे हैं लेकिन ऐसा प्रचार सुनाई नहीं दिया वही जब सवाल विरासत का आया तो भी सवाल बनता है वारिस रहेगा तो विरासत की बात करेगा जबकि मौजूदा सरकार ने तो जानों को दाव पर लगा दिया है लेकिन कांग्रेस सहित संपूर्ण विपक्ष मोदी का मज़ाक़ उड़ा रहा है और मोदी अपनी चाल चल रहे हैं इस वक़्त के सबसे बड़े मुद्दे वैक्सीन को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है जबकि ज़मीनी स्तर पर इस विषय पर चर्चा हो रही है लोगों में ख़ौफ़ है और वह इस ख़ौफ़ से निजात चाहते हैं ।
ऐसे में उन्हें ज़मीन पर यह भी बताया जाना चाहिए कि सरकार ने आपकी जान के साथ खिलवाड़ मात्र 52 करोड़ में किया है ,इलेक्टोरल बांड के ज़रिए इसे सीधे तौर से रिश्वत कहकर कार्यकर्ताओं को ज़मीन पर होना चाहिए लेकिन वह ज़मीन पर बेरोज़गारी और महंगाई की बात कर रहे हैं जबकि गावों में यह मुद्दा नहीं है और लोग फ्री राशन के सम्मोहन में अभी भी ग्रस्त हैं लेकिन ज़मीन पर यह बात ज़रूर है कि बाक़ी सब ठीक है लेकिन जान से खिलवाड़ बहुत ग़लत है विपक्ष इस संबंध में अपनी बात पहुँचाने में नाकामयाब है और आरएसएस तथा बीजेपी का संगठन इसे अपनी तरह से पेश कर रहे हैं और लोगों को भ्रम में डाल रहे हैं ।
अब सोचिए मोदी क्यों ज़िले की कैपिटल पूछ रहे है? कही ऐसा तो नहीं कि वह राहुल को होमवर्क दे रहे हैं कि अब इस पर तैयारी करो हम इस पर बात करते हैं और राहुल अपने प्रश्नपत्र को रख कर मोदी के कोर्स की तैयारी में जुट रहे हैं ।
सोचिए समझिए सहमत या असहमत होना आपका अधिकार है यह मात्र एक स्वतंत्र विचार है ।