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कर्नाटक से उठा हिजाब विवाद सिर्फ एक भ्रमजाल है यह कहने में मैं कोई जल्दबाजी नहीं कर रहा हूं क्योंकि जो कुछ भी दिख रहा है वह एक गहरी साजिश की ओर इशारा कर रहा है ,जिस तेजी से इस विवाद ने रफ्तार पकड़ी है और न सिर्फ प्रदेशों की सीमायें बल्कि देश की सीमाएं लांघ कर यह मामला विदेशों में पहुंचा है वह एक तीर से कई निशाने साधता दिखता है।

यह पूरा विवाद सिर्फ उत्तर प्रदेश या अन्य प्रदेशों जहां चुनाव चल रहे हैं उन्हें प्रभावित करने के लिए उठा है ऐसा आम जनमानस को लग रहा है लेकिन क्या सिर्फ इतनी ही बात है ? शायद नहीं क्योंकि जिस तेजी से जमीयत उलमा हिंद के मौलाना महमूद मदनी ने इस विवाद में इंट्री मारी है वह कुछ और इशारा करती है कि सिर्फ यह चुनावी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है।
आप हैरान होंगे और कहीं न कहीं यह भी सोच रहे होंगे कि मैं ऐसी बाते क्यों करने बैठ गया मुझे भी इस लड़की की हिम्मत को सलाम करना चाहिए था मौलाना के द्वारा की गई इनाम की घोषणा को सराहना चाहिए था लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया और एक बेतुकी सी लगने वाली बात लेकर बैठ गया।

लेकिन इस पूरे मामले को समझने के लिए आपको निष्पक्ष होकर देखना होगा कि आखिर पूरी घटना है क्या यह विवाद नया नहीं है यह विवाद शुरू हुआ 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई 6 छात्राओं को क्लास में आने से जब रोक दिया गया और इसे लेकर कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया ।19 जनवरी 2022 को कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं, उनके माता-पिता और अधिकारियों के साथ बैठक की लेकिन इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला।

26 जनवरी 2022 को फिर बैठक हुई जिसमें उडुपी के विधायक रघुपति भट ने कहा कि जो छात्राएं बिना हिजाब के नहीं आ सकतीं, वो ऑनलाइन पढ़ाई करें लेकिन छात्राओं ने इसे अपने अधिकारों का हनन बताया और 27 जनवरी 2022 को छात्राओं ने ऑनलाइन क्लास अटेंड करने से मना कर दिया।
अभी यह मामला चल ही रहा था कि 2 फरवरी 2022 को उडुपी के ही कुंडापुर इलाके में स्थित सरकारी कॉलेज में भी हिजाब विवाद गर्मा गया कुछ हिंदू छात्र और छात्राएं हिजाब के जवाब में भगवा गमछा पहनकर कॉलेज आ पहुंचे उनका कहना था कि अगर हिजाब पहनकर आ सकते हैं तो भगवा क्यों नहीं ?आग लगभग लग चुकी थी लिहाज़ा अब यह विवाद बढ़ गया और 3 फरवरी 2022 को कुंडापुर के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई छात्राओं को रोका गया अभी तक यह मामला राष्ट्रीय पटल पर नहीं था लेकिन 5 फरवरी 2022 को हिजाब पहनकर आ रही छात्राओं के समर्थन में राहुल गांधी उतरे उन्होंने ट्वीट किया, हिजाब को शिक्षा के रास्ते में लाकर भारत की बेटियों का भविष्य छीना जा रहा है।

यानी अब यह मामला बीजेपी बनाम कांग्रेस हो चला जहां एक तरफ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और दूसरी तरफ कांग्रेस की विचारधारा आ गई जिसने बीजेपी को पूरा अवसर दे दिया इसे चुनाव में भुनाने का लिहाज़ा हर बार की तरह न्यूज चैनल और सोशल मीडिया इस विवाद से पट गए हर तरफ यही एक डिबेट छिड़ गई कि हिजाब के साथ इंट्री सही या गलत ।

यह सिर्फ एक पहलू है जिसे समझना बहुत आसान है लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है जिसे अगर नही समझा गया तो हम अपना नुकसान करेंगे क्योंकि 5 फरवरी के बाद जो घटना हुई वह परेशान करने वाली है 8 फरवरी 2022 को कर्नाटक में कई जगहों पर झड़पें हुईं, जिसमें शिमोगा का एक वीडियो आया जिसमें एक कॉलेज के छात्र तिरंगे के पोल पर भगवा झंडा लगाते दिखे,कई जगहों से पथराव की खबरें भी आईं,मांड्या में बुर्का पहनी एक छात्रा से बदसलूकी की गई, उसके सामने भगवा गमछा पहने छात्रों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाये जिसके जवाब में उस अकेली लड़की ने अल्लाहु अकबर का नारा लगाया और यह पूरा विवाद स्कूली छात्राओं और मैनेजमेंट से हट कर हिंदू बनाम मुस्लिम हो गया।
हालांकि हिजाब को लेकर हुआ यह विवाद कर्नाटक में नया नहीं है यहां पहले भी ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2009 में भी ऐसा ही एक मामला बंटवाल के एसवीएस कॉलेज में सामने आया था।उसके बाद 2016 में बेल्लारे के डॉ. शिवराम करांत सरकारी कॉलेज में भी हिजाब को लेकर विवाद हुआ था उसी साल श्रीनिवाल कॉलेज में भी विवाद हुआ था और 2018 में भी सेंट एग्नेस कॉलेज में बवाल हुआ था ठीक वैसा ही जैसा आज उडुपी में हो रहा है बेल्लारे में भी हुआ था उस समय कई छात्रों ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर भगवा गमछा पहनकर प्रदर्शन किया था।खैर इस बार कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी को कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 की धारा 133(2) को लागू कर दिया इसके मुताबिक, सभी छात्र-छात्राओं को तय ड्रेस कोड पहनकर ही आना होगा।आदेश के मुताबिक, सभी सरकारी स्कूलों में तय ड्रेस कोड का पालन करना होगा वहीं, निजी स्कूलों के स्टूडेंट्स को भी तय यूनिफॉर्म ही पहनकर आनी होगी।आदेश में ये भी कहा गया है कि अगर किसी स्कूल या कॉलेज में कोई ड्रेस कोड नहीं है तो स्टूडेंट्स ऐसे कपड़े पहनकर नहीं आ सकते जिससे सामुदायिक सौहार्द्र, समानता और शांति व्यवस्था को खतरा हो।

आदेश की अंतिम दो लाइन बड़ी हास्यास्पद हैं क्योंकि जिस संदर्भ में यह आदेश है उसमें हिजाब से किस प्रकार धार्मिक सौहार्द्य खराब हो सकता है यह खुद सरकार को नहीं पता है शायद इसीलिए इस लाइन को सही साबित करने के लिए सरकारी तंत्र भी कहीं न कहीं सक्रिय है। खैर यह तो इस पूरे विवाद का इतिहास हुआ अब इसके पीछे की बड़ी साजिश की तरफ ध्यान देना चाहिए आपको इसे समझने के लिए फिर वापस कर्नाटक ही आना होगा 12 अगस्त 2020 डी जे हल्ली पुलिस थाने को उग्र भीड़ ने आग के हवाले कर दिया था मामला था कांग्रेस के एक विधायक के भतीजे द्वारा पैगंबर के खिलाफ फेसबुक पर एक आपत्तिजनक पोस्ट करने का उसके बाद अचानक भीड़ जमा होती है और थाना फूंक दिया जाता है यह सब अचानक हुआ ऐसा नहीं था बल्कि इसके पीछे जिस संगठन का नाम निकल कर आया वह पी एफ आई थी।

आगे की कहानी आपको समझ आ जानी चाहिए जिस तरह यह पूरा हिजाब विवाद गहराया है और इसमें जैसे लोग कूदें हैं वह साफ इशारा बड़ी साजिश की ओर कर रहा है कि सिर्फ इसका मकसद चुनाव में फायदा नुकसान नहीं है न्यूज चैनल्स पर भी जिस तरह के लड़कियों द्वारा इंटरव्यू दिए जा रहे हैं और जैसे वो संवैधानिक मूल्यों की बाते कर रही हैं जिस तरह की सधी हुई भाषा का प्रयोग हो रहा है वह इतना बताने के लिए काफी हैं यह आम लोग नही हैं मुस्कान भी जिस तरह न्यूज चैनल पर बैठ कर बयान दे रही है उससे कोई भी आराम से समझ सकता है कि पूरा खेल क्या है ? मैं उस लड़की या अन्य लड़कियों की प्रतिभा पर कोई सवाल नहीं कर रहा और न ही उनकी नियत पर सवाल करने का मुझे कोई हक है लेकिन चीज़ों को परत दर परत देखा जाना चाहिए ।

पूरी स्टोरी बहुत कुछ कह रही है इसमें कहीं न कहीं कट्टरपंथ की बू जरूर आ रही है आखिर यह सोचने वाली बात है कि इतनी तेज़ी इस विवाद ने पकड़ी कैसे इधर 6 लड़कियों द्वारा कॉलेज प्रबंधन से विरोध किया जाता है उधर मामला कर्नाटक न्यायालय तक पहुंच जाता है यह इतनी आसानी से नहीं हुआ फिर एक साथ देश के अलग अलग हिस्सों में इस मामले को लेकर प्रदर्शन होते हैं हालांकि यह छोटे पैमाने पर सही लेकिन नए नए तरीकों के साथ कहीं लड़कियां हिजाब में क्रिकेट खेल कर विरोध करती हैं कहीं किसी और तरह से यह सब बिना किसी सुनियोजित तरीके के कैसे संभव हुआ यह जांच का विषय है ?

हालांकि जिस तरह नफरत की आग युवाओं में बह रही है वह देश के लिए आंतरिक खतरा है युवाओं में जिस तरह का गुस्सा भरा जा रहा है वह सिहरन पैदा करने के लिए काफी है। दोनो ही तरफ बढ़ते कट्टरपंथ से देश को बड़ा नुकसान तय है लेकिन कार्यवाही की आवश्कता दोनो ही ओर है अगर एक तरफा कार्यवाही की जाती है तो रोष बढ़ता है जोकि अधिक घातक है ।यह एक शाश्वत सत्य है कि दो धर्म कभी नहीं टकरा सकते लड़ाई हमेशा दो संस्कृतियों के टकराव से पनपती है जो सीधे तौर पर दिखाई दे रही है ।घूंघट या हिजाब का झगड़ा नहीं है यह बढ़ते हुए कट्टरपंथ की जंग है जिसका इलाज सूफी संतों के संदेश में छिपा है ।
पूरे मामले की गहन जांच यदि होती है तो सच सामने आ सकता है कहीं न कहीं इसमें किसी कट्टरपंथी संगटन का हाथ ज़रूर है पीएफआई का प्रभाव इस इलाके में बहुत ज्यादा है और सरकार लगातार इस पर बैन लगाने की बात करती आ रही है अब सच सामने आता है या नहीं यह देखने वाली बात है।
यूनुस मोहानी
9305829207,8299687452
younusmohani@gmail.com

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