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भाजपा सरकार का अस्तित्व लहू में लिपटा है,अपराध से चोली दामन का साथ है। आपराधिक और राजनीतिक सांठ-गांठ केवल भाजपा शासन मे है कहना उचित नही है, कमोवेश हर शासन मे होता है परंतु इस शासन मे परवान चढ़ा। हर शांतिप्रिय, न्यायप्रिय, रचनात्मकता के पैरोकार, अंध-विश्वास की प्रतिगामी ताकतों को किस तरह रास्ते से अलग किया जाता है यह प्रशिक्षण इस सरकार से बेहतर अन्यत्र दुर्लभ है । ऐसा प्रतीत होता है कि नफरत जब तक हत्या की उत्तेजना में तब्दील न हो जाए इसके मुख्य नेताओं क्रमशः मर्यादा पुरुषोत्तम अमित शाह वह गंगा पुत्र नरेंद्र मोदी को गहरी नींद नहीं आती होगी। धमकी भरे शब्दों पर इनकी अकाट्य पकड़ आशंकाओं को बल प्रदान करती है । चराचर द्रोहियों का पाप धुलने के लिए गंगा पुत्र है ही। वैसे भी हमारे यहां प्रचलित धार्मिक मान्यतानुसार पाप धुलने का बेहतरीन उद्गम गंगा स्नान ही माना जाता हैं। धार्मिक तौर पर जिस तरह पाप धुलने का सहज,सुलभ व कारगर उपाय गंगा स्नान है, राजनीतिक तौर गंगा पुत्र होने का विश्वास भाजपा ने भी हासिल कर रखा है ।
इन 5 वर्षों में संस्थानिक, असहनीय सहयोगी, प्रतिरोधी साहित्यकारों के अलावा मुसलमानों और दलितों की हत्याए खूब हुई । इस कार्यकाल को हत्याओं के प्रयोगशाला के रूप मे इस्तेमाल किया गया है। सिर पर बर्फ की सिल्ली रखकर सूझबूझ से की गई हत्याओं को हादसा, आत्महत्या, हृदयाघात व गो-रक्षा के आवरण मे परोसे जाने का यह अद्वितीय उदाहरण है । लोकतंत्र मे मजबूत, सजग व चैतन्य विपक्ष के अभाव सत्ता पक्ष को निरंकुश होते देखा गया है ।खासतौर से वह सत्ता पक्ष जो अपनी उपलब्धि दिखाने के लिए विपक्ष की खामियों को गिनाने मे व्यस्त व मस्त हो। वह इन अवसरों को अपने हाथों से निकलने क्यों देगा ? यदि प्राथमिकता के आधार पर इन हत्याओं को सूचीबद्ध किया जाए तब कुछ इस तरह की सूची तैयार होगी ।

1.*रोहित वेमुला की हत्या* की साजिश बड़े ही ठंडे दिमाग से की गई । अंततः इसे आत्महत्या भी घोषित कर दी गई। भाजपा नेता रामचंद्र राव, द्वय केन्द्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय व स्मृति ईरानी इन सब पर दोष लगा कि रोहित को आत्महत्या के लिए मजबूर करने में इन तीनों की ही भूमिका है। हो क्या सकता है जब “सैंया भए कोतवाल फिर डर काहे का” गंगा पुत्र की छाया मे रहकर हर घृणित कार्य को परोपकार मे बदलने मे कोई देर नही लगती । दलित को उच्च शिक्षण ग्रहण करने से रोकने की रणनीति के तहत यह हत्या की गई । दलितों को यह संदेश दिया गया कि जब-जब तुम विशेषज्ञता की शिक्षा हासिल करने का प्रयास करोगे एकलव्य और रोहित वेमुला जैसे ही तुम्हारा हश्र होगा ।

2.*गौरी लंकेश की हत्या* वैचारिक क्रांति की अग्नि में पानी डालने की नियत से की गई। भाजपा और आरएसएस के साजिशों को पर्दाफाश करना गौरी लंकेश को भारी पड़ा। जान गवानी पड़ी । उनकी हत्या उस सनातन संस्था ने किया जिसकी दुहाई देते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम अमित शाह की जिह्वा नही थकती । वह आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहते हैं कि कहीं हिंदू भी आतंकवादी हो सकता है- परशुराम वाघमारे जिसे गंगा पुत्र फॉलो करते हुए आशीर्वचन देते हैं वह क्या पाकिस्तानी है या मुस्लिम ?

3.*बृज गोपाल हरकिशन लोया की हत्या*:- वह सीबीआई कोर्ट मे सोहराबुद्दीन शेख मुकदमे को देख रहे थे। जिनकी 1 दिसंबर 2014 को अप्राकृतिक परिस्थितियों में “रवि भवन” अतिथि गृह नागपुर में मृत्यु/हत्या हुई। उनके पूर्ववर्ती न्यायाधीश जे टी उत्पत को इस न्यायालय से हटा दिया गया था , जबकि उच्चतम न्यायालय का निर्देश था कि पूरे मुकदमे की सुनवाई एक ही जज द्वारा होगी । इस मुकदमे में अमित शाह मुख्य अभियुक्त थे । 30 अक्टूबर 2014 को महाराष्ट्र में उपस्थित होने के बावजूद अमित शाह न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए। शाह के इस आचरण ने न्यायप्रिय जज लोया को सख्त होने पर मजबूर किया और आदेश पारित किया कि अमित शाह को 15 दिसंबर 2014 को हर हाल में न्यायालय में उपस्थित होना होगा। मर्यादा पुरुषोत्तम को आदेश देने की हिमाकत की सजा मे लोया को अपनी प्राण गंवानी पड़ी। यह हत्या बहुत ही ठंडे दिमाग से की गई, कोई सोच भी नहीं सकता था । यदि उनके स्थान पर नियुक्त न्यायाधीश एम बी गोसवी ने 30 दिसंबर 2014 को अमित शाह पर लगे आरोपों को खारिज न कर दिया होता। विशेष सूत्रों के हवाले से ज्ञात हुआ कि श्री गोसवी ने उसी आदेश पर हस्ताक्षर किया जो शाह द्वारा तैयार कराया गया था और जिस पर हस्ताक्षर करने के लिए लोया को मजबूर किया जा रहा था । यह घटना आग की तरह फैल रही थी की लोया को 100 करोड़ रूपए रिश्वत की पेशकश की गई थी। आर एस एस की उपज सीजेआई दीपक मिश्रा अपने यहा दायर पीआईएल खारिज करते हुए कहा कि लोया की मृत्यु प्राकृतिक थी, इस याचिका को स्वीकार करना न्यायिक प्रक्रिया पर हमला है ।
4.*कामरेड गोविंद पंसारे* अंधविश्वास के खिलाफ अडिग व्यक्ति थे । पुरातन की सोच के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे थे। गांधी के हत्यारे नाथूराम विनायक गोडसे के महिमा मंडन के प्रखर विरोध में आवाज बुलंद रहे थे ।थाणे और गोवा बम धमाके के दोषी सनातन संस्था उनकी जान की दुश्मन थी । धमकी भरा एक पत्र भी उन्हें मिला था कि “तुमचा दाभोलकर करें” दाभोलकर जैसे ही तुम्हारा भी हश्र होगा। अंततः 16 फरवरी 2015 को जब पंसारे अपनी पत्नी उमा पंसारे के साथ सुबह की सैर पर थे अज्ञात लोगों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। उनकी पत्नी भी जख्मी हो गई इलाज के बाद वह बच गई।

5.*जुनैद खान* ने 15 वर्ष की उम्र में जो मौत का तांडव देखा वह किसी को भी न देखना पड़े यह मेरी तमन्ना है। ओखला से ट्रेन में चढ़े जुनैद पर तुम मुसलमान हो। गद्दार हो। इस देश मे तुम्हें जीने का हक नहीं है पहले इन शब्दों से नवाजा गया । अंततः उदण्ड राष्ट्रवाद का चोला पहले नरपिशाचों ने 22 जून 2018 को चाकुओं से गोद गोद कर उसे बेरहमी से मार डाला । संवेदनहीन लोग उसके बचाव में आगे नहीं आए । रामेश्वर दास स्वास्थ्य निरीक्षक दिल्ली नगर निगम क्या हिंदू नहीं था? मर्यादा पुरुषोत्तम अमित शाह का यह दावा कि हिंदू तो उस चींटी को भी आटा खिलाते हैं जो उसे काटती है । सच है यही चरित्र है वास्तविक हिंदू का जिसके अंदर करूणा है, सद्भाव है परस्पर सहयोग की भावना है । परंतु कुछ उदण्ड लोग देश में पुष्पित व पल्लवित “सर्वधर्म समभाव की भावना” को कलंकित कर रहे हैं। आपके और गंगापुत्र के नेतृत्व ने इस सोच को खाद और पानी खूब दिया है।

6.*एम एम कलबुर्गी* (मलेशप्पा मदिवलप्पा कलबुर्गी ) कन्नड़ विश्वविद्यालय के कुलपति थे । लिंगायत समुदाय के बहुत ही प्रखर वक्ता थे । इन्हे राष्ट्रीय साहित्य अवार्ड 2006 से नवाजा गया था। वह लिंगायत समुदाय को रचनात्मकता की तरफ आकर्षित करने में तल्लीन रहते। कई बार वह लिंगायत समुदाय के पूज्यनीय दार्शनिक बसवा को भी निशाने पर लेते थे जिसका प्रतिरोध झेलना पड़ता। वह किसी भी तरह के पाखंड को स्वीकार नहीं करते और पाखंड वाद पर हमला भी करते रहते थे । मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी होने के नाते उनके कई दुश्मन पैदा हो गए । खासतौर से वह लोग जिनका धंधा पाखंड पर आधारित है। कुछ अतिवादियों को उनकी सक्रियता पसंद नहीं आई । फलस्वरूप 30 अगस्त 2015 को उनके आवास पर गोली मारकर एक प्रखर वक्ता को सदा सदा के लिए चुप करा दिया गया ।

7.*अक्षय सिंह पत्रकार की हत्या*:- मध्य प्रदेश के हाईप्रोफाइल व्यापम घोटाले की कवरेज के दौरान आज तक के विशेष संवाददाता अक्षय सिंह की 4 जुलाई 2015 को अचानक मौत
हो गई। मौत के कारणों का पता नहीं चला ।व्यापम घोटाले में हुई सभी मौतों की वजह कहां पता लगी अभी तक? विश्वस्त सूत्रों का
मानना है कि अक्षय व्यापम् संबंधित सभी मौतों की तह तक पहुंच चुके थे, एक विस्फोटक स्टोरी प्रकाशन के करीब थी । वह स्टोरी शिवराज मामा को कंस मामा साबित कर देती ।

8 .*अफराजुल उर्फ भुट्टू की वहशियाना हत्या* :- 7 दिसंबर 2017 शंभू लाल रेगर ने राजस्थान के राजसमंद में पहले एक व्यक्ति को फावड़े से काटा और फिर आग लगाकर जला दिया इस शैतान ने वीडियो बनाकर वायरल भी किया। देशभक्ति के आवरण में परोसा गया यह आतंकवाद भी मर्यादा पुरुषोत्तम को एक हिंदू द्वारा मुसलमान चींटी को आटा खिलाने जैसा ही लगेगा ।

9.*अनवर अली की बर्बरतापूर्ण हत्या* :- 21 मार्च 2019 को संघ की शाखा संचालकों का एक उदंड गुट मस्जिद की जमीन कब्जा करने की नियत से हमला बोला और विरोध करने पर अनवर को कुल्हाड़ी से काट डाला । मर्यादा पुरुषोत्तम की यह टोली भी अनवर चींटी को आटा खिलाने ही गई होगी ।

10.*स्टरलाइट कॉपर गोलीकांड*:- गद्दार उद्योगपतियों के कवच के रूप में खड़ी भाजपा सरकार इनके कामों में किसी भी तरह की बाधा नहीं आने देगी। गोली कांड इसी की गारंटी देता है। प्लांट के अगल-बगल रहने वाले निवासी यदि अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हैं और प्रदूषण फैलाने वाली यूनिट को बंद कराने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे तब क्या अन्याय कर रहे थे ? जहां नौ लोगो को गोलियों से भुनवा दिया गया । देश के जागरूक नागरिको के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने के लिए उनको गोलियों से भून डालना एक आतताई सरकार का तांडव नहीं तो और क्या है?

11.*मंदसौर गोलीकांड* :-मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों के प्रदर्शन को दबाने के लिए शिवराज सरकार ने जिस तरह से गोली चलाने का आदेश दिया उसके पीछे सरकार की मंशा किसानों को चेतावनी देने की थी कि यदि तुमने अपनी फसल का उचित मूल्य मांगा तो गोलियां मिलेगी।
12 .*चिराग पटेल की हत्या*:- भाजपा सरकार आरटीआई का जवाब देने से हमेशा बचती रही है और चिराग पटेल प्रतिदिन एक न एक आरटीआई डाले रहते थे । उनकी यह सक्रियता सरकार के प्रभावशाली लोगों को पसंद नहीं आयी । उसे चुप कराने का एक ही रास्ता सूझा, सदा सदा के लिए मौत की नींद सुला देना। 15 मार्च 2019 को चिराग पटेल को मौत की नींद सुला दिया गया।

13 . *अखलाक की निर्मम हत्या*:- RSS की चरमपंथी सोच का नतीजा थी । हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है जहां लोगों को अपने अपने रीति-रिवाज, खान-पान, पहनावा ,बोलचाल की भाषा चुनने का अधिकार है । परंतु यहां जब से भाजपा सरकार है तब से लोग क्या खाएंगे और क्या नहीं खाएंगे वही तय करेंगे। अखलाक को इस शक के बिना पर मार दिया गया कि उसके फ्रिज में बीफ रखा है । 28 सितंबर 2015 संविधान का एक काला दिवस माना जाएगा जब अखलाक को मारा गया ।

14. *सुबोध कुमार सिंह निरीक्षक की हत्या*:- जब एक पुलिस निरीक्षक अपनी जान नहीं बचा सकता और भगवा चरमपंथियों द्वारा मार दिया जाता है तब आम लोगों की जान की कीमत क्या है ?
15. *गोपीनाथ मुंडे* 3 जून 2014 को गोपीनाथ मुंडे की जिन परिस्थितियों में कार दुर्घटना में मौत दिखाई गई यह घटना
किसी भी खोजी व संवेदनशील व्यक्ति के गले उतरने वाली नहीं थी । सैयद शुजा के दावे ने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया कि गोपीनाथ मुंडे ईवीएम घोटाले को पूरी तरह से जान गए थे। जिसका वह कभी भी खुलासा कर सकते थे, इसी से भयभीत होकर उनका कोल्ड मर्डर किया गया।
इन निर्दोषों की आत्मा शांति के लिए भाजपा की निर्मम सरकार को उखाड़ फेंके, और उपर्युक्त लोग जो चरमपंथ के शिकार हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें। देश को विध्वंस नही निर्माण की आवश्यकता है, चरमपंथ नही उदारपंथ की जरूरत है ।तांडव नही तन्मयता प्रगति की जननी है । जुमलों नही कर्मठता से देश आगे बढ़ेगा । सीने की आग नही दिल का मर्म जख्मों को भरेगा । हत्याएं मार्ग निष्कंटक नही कर सकती हां थोड़े दिन की राहत दे सकती है । आरोप नही रचनात्मकता गरिमा प्रदान करती हैं । ज्ञान तो ज्ञान है, सूर्य की उष्णता है । कौन तपन रोक पाया है । जो रोकने के दुष्चक्र मे फंसा उसे आत्महत्या करनी पड़ी है । कौन भूल सकता है हिटलर को ।
तूफानों को कह दो अपनी औकात मे रहें ।
उन्होंने सिर्फ कश्ती देखी है हौसले नही ।।

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